मैनपुरी: नई प्रक्रिया के तहत ही आरक्षण जारी किया गया है। ग्राम पंचायतों के चुनाव में प्रधान पद का चुनाव बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। प्रधानी के किस्से गांव-गांव पहले से चल रहे हैं। सीटों का गणित घोषित हो गया है। अब ग्रामीणों और दावेदारों के बीच आरक्षण का गठित जानने की बेकरारी शुरू हो गई है।
पंचायत चुनाव में इस बार मैनपुरी जनपद की कुल 549 ग्राम पंचायतों में 115 प्रधान पद अनुसूचित जाति के लिए और 152 प्रधान पद अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित किए जाएंगे। महिलाओं के लिए 91 पद आरक्षित होंगे। इस बार परिसीमन नई प्रक्रिया के तहत हुआ है।
प्रधान पदों के लिए जातिवार आरक्षण
अनुसूचित जाति महिला 41
अनूसूचित जाति 74
अन्य पिछड़ा वर्ग महिला 54
अन्य पिछड़ा वर्ग 98
महिला 91
अनारक्षित 191
कुल 549
18 पंचायतें एससी के लिए कभी नहीं हुई आरक्षित :
क्षेत्र पंचायत और जिला पंचायत अध्यक्ष पदों के आरक्षण का गणित जारी हो चुका है। विकास खंड क्षेत्र में चुनावी बुखार भी इसके साथ बढ़ गया। किशनी में डेढ़ दर्जन से अधिक प्रधानों की सीटें ऐसी हैं जहां अनुसूचित जाति का आरक्षण पहले कभी नहीं हुआ।
नई आरक्षण प्रक्रिया के तहत इन ग्राम पंचायतों के इस बार आरक्षित श्रेणी में आने की उम्मीदें हैं। अगर यह ग्राम पंचायतें आरक्षित हुईं तो कई दावेदारों का गणित बिगड़ जाएगा। आरक्षण 20 फरवरी के बाद घोषित होगा। इसकी तैयारियां ब्लॉक परिसर में चल रही हैं। ग्राम पंचायतों के चुनाव में प्रधानी सबसे महत्वपूर्ण मानी जाती है। यूं तो यहां बीडीसी, ग्राम पंचायत सदस्य पदों के चुनाव भी लड़े जाते हैं लेकिन प्रधानी के चुनाव का सर्वाधिक जोर रहता है।
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यही वजह है कि लंबे समय से दावेदार मतदाताओं की शरण में है। सोशल मीडिया पर भी प्रधानी का चुनाव लड़ा जा रहा है। किशनी में 62 ग्राम पंचायतें हैं इसमें से 18 ग्राम पंचायतें ऐसी हैं जो एससी के लिए अभी तक आरक्षित नहीं हुई। ग्राम पंचायत घुटारा, सकरा, गंगदासपुर, ढकरोई, सतिगवां, परशुरामपुर, बघोनी, मुड़ोसी, दिवनपुर, सींगपुर, ख़िदरपुर, परतापुर, कमलनेर, रठेह, कुरसंडा, नगथरा, हरचंद्रपुर, इंद्रपुर, सुजानपुर में एससी का आरक्षण पूर्व में कभी नहीं हुआ।
परतापुर में एक भी एससी वोटर नहीं
इस बार ब्लॉक में 15 सीटें अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित होंगी। अब नई व्यवस्था लागू हुई है इसलिए तीन और सीटें अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित की जाएंगी। ग्राम पंचायत परतापुर में एक भी एससी वोटर नहीं है। घुटारा में भी एससी वोटर्स की संख्या बहुत कम है। हरचंद्रपुर की सीट का आंकड़ा भी बदल सकता है। आरक्षण का दावेदार ही नहीं बल्कि ग्रामीण भी बेचैनी से इंतजार कर रहे हैं।