सपने में भी राफेल तक नहीं पहुंच पाएगा पाकिस्तान, जानें कैसे आतंक के आका के लिए भारत ने खोदी लंबी खाई…

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जब फ्रांस के राष्ट्रपति के राजनयिक सलाहकार इमैनुएल बोने 7 जनवरी को एक रणनीतिक वार्ता के लिए भारत आए थे तब भारतीय वायु सेना की ओर से उनके सामने एक अहम सवाल था कि किसी भी तरह राफेल लड़ाकू विमान की तकनीक, विशेषकर इसकी मिसाइल क्षमता को पाकिस्तान से दूर रखा जाए। भारत ने राजनयिक सलाहकार इमैनुएल बोने को अवगत कराया कि भले ही राफेल विमान के निर्माता दसॉल्ट एविएशन, कतर को ओमनी-रोल प्लेटफ़ॉर्म राफेल बेच रहा है, मगर पेरिस को यह सुनिश्चित करना होगा कि दोहा (कतर की राजधानी) द्वारा किसी भी पाकिस्तानी मूल के व्यक्ति को राफेल तक पहुंचने का एक्सेस नहीं मिलना चाहिए। इसके बाद पेरिस ने भारत को न केवल राफेल तकनीक का आश्वासन दिया है, विशेष रूप से जो मेटियोर एयर-टू-एयर मिसाइल को पाकिस्तान की पहुंच से बाहर रखा जाएगा, बल्कि यह भी कि इस्लामाबाद की सैन्य टुकड़ियों में अब मिराज 3/5 लड़ाकू विमान या अगस्ता 90 बी को अपग्रेड नहीं किया जाएगा।

बालाकोट हमले के एक दिन बाद 27 फरवरी, 2019 को पाकिस्तानी वायु सेना की जवाबी कार्रवाई के दौरान अपनी मिग-21 खोने के बाद भारत ने इस गारंटी की मांग की थी।उस दिन पाकिस्तान अमेरिका को दिए अपने वादे से मुकर गया, जिसमें उसने भरोसा दिलाया था कि वह केवल आतंक के खिलाफ युद्ध में एफ-16 विमान का उपयोग करेगा और भारत के खिलाफ नहीं। यह पाकिस्तानी F-16 से दागी गई 75 किमी की रेंज की एयर-टू-एयर AIM-120-C-5 मिसाइल थी, जिसने राजौरी-मेंधर सेक्टर में नियंत्रण रेखा पर विंग कमांडर अभिनंदन के मिग-21 बाइसन इंटरसेप्टर पर हमला किया था।

क्या भारतीय वायु सेना ने इस बात को ध्यान में रखकर अभ्यास नहीं किया था कि पाकिस्तान एफ-16 का उपयोग भारत के खिलाफ करेगा? इस बाबत भारतीय वायुसेना के सीनियर अधिकारी ने नाम न जाहिर होने देने की शर्त पर कहा कि हम बहुत स्पष्ट थे कि पाकिस्तान हमारे खिलाफ एफ-16 का उपयोग करेगा और इसलिए हमने वायुसेना के लड़ाकू विमानों को डायनामिक अटैक जोन 1 और 2 या डी-मैक्स 1 और 2 को AIM-120C हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइल से परे रखने का अभ्यास किया।

यहां ध्यान देने वाली बात है कि पेंटागन ने पहले भारत को आश्वासन दिया था कि इस्लामाबाद F-16 या अन्य मिसाइलों का उपयोग भारत के खिलाफ नहीं करेगा। अमेरिका ने भारत को इस बात की जानकारी तब दी थी, जब नई दिल्ली ने वाशिंगटन से मिसाइल पर एक सॉफ्टवेयर लॉक लगाने का अनुरोध किया था, ताकि इसे भारत के खिलाफ इस्तेमाल न किया जा सके।

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