Sar Creek News : भारत और पाकिस्तान के बीच जमीन और आसमान के बाद अब दलदल और समंदर में भी तनाव विस्फोटक बिंदु पर पहुँच गया है।
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sar creek : भारत का ‘त्रिशक्ति’ सैन्य अभ्यास: पाकिस्तान पर मनोवैज्ञानिक दबाव
भारतीय सेनाओं के संयुक्त युद्धाभ्यास की घोषणा ने पाकिस्तान पर मनोवैज्ञानिक और सामरिक दबाव दोनों बनाया है। यह अभ्यास सर क्रीक (Sar Creek) से लेकर जैसलमेर तक एक व्यापक क्षेत्र में केंद्रित है, जो पाकिस्तान की पश्चिमी समुद्री और थल सीमा दोनों को एक साथ चुनौती देता है।
भारत की सशस्त्र सेनाओं द्वारा घोषित किए गए विशाल संयुक्त ‘त्रिशूल’ युद्धाभ्यास ने पाकिस्तान की पूरी सैन्य और खुफिया मशीनरी को हिलाकर रख दिया है। इस ‘त्रिशक्ति’ प्रदर्शन के डर से घबराए पाकिस्तान ने एक अत्यधिक उकसावे भरा कदम उठाया है: अपने नौसेना प्रमुख एडमिरल नावेद अशरफ को आनन-फानन में विवादित सर क्रीक क्षेत्र का दौरा करने के लिए भेजा, जहाँ उन्होंने अत्याधुनिक, ब्रिटेन निर्मित 2400TD होवरक्राफ्ट को शामिल करने की घोषणा की।
Sar creek : यह होवरक्राफ्ट की तैनाती पाकिस्तान की नापाक और गुप्त चाल का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य भारत के युद्धाभ्यास के दौरान दलदली क्रीक क्षेत्र में अपनी सैन्य आक्रामकता को बढ़ाना है।
themagnewz.in की यह डिस्कवर-अनुकूल एक्सक्लूसिव रिपोर्ट समझाती है कि क्यों यह 96 किलोमीटर की दलदली खाड़ी ‘कराची का रास्ता’ मानी जाती है, भारत का ‘त्रिशूल’ युद्धाभ्यास क्या है, और पाकिस्तान का यह ‘फियर फैक्टर’ क्यों क्षेत्रीय शांति के लिए सबसे बड़ा खतरा है।
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1. पाकिस्तान का ‘फियर फैक्टर’: भारत का ‘त्रिशूल’ युद्धाभ्यास क्यों है इतना घातक?
भारत का संयुक्त ‘त्रिशूल’ युद्धाभ्यास केवल एक रूटीन सैन्य ड्रिल नहीं है, बल्कि एकीकृत युद्ध क्षमता का एक शक्तिशाली प्रदर्शन है। इसकी टाइमिंग और पैमाना सीधे पाकिस्तान को लक्षित करता है।
1.1. sar creek : अभ्यास का अपूर्व पैमाना और हाई अलर्ट
- त्रिशूल की शक्ति: यह अभ्यास थल सेना, नौसेना और वायु सेना को एक साथ लाता है, जिसका लक्ष्य किसी भी दो मोर्चे या बहु-आयामी युद्ध की स्थिति में एक समन्वित और निर्णायक जवाबी कार्रवाई की क्षमता को मजबूत करना है।
- विशाल क्षेत्र कवरेज: अभ्यास सर क्रीक (Sar Creek) से लेकर जैसलमेर तक एक विशाल क्षेत्र को कवर करता है, जो पाकिस्तान के दक्षिणी कमानों के लिए सीधा खतरा है।
- हवाई क्षेत्र की सीलिंग: भारत ने अभ्यास के लिए 28,000 फीट तक के हवाई क्षेत्र को आरक्षित किया है। यह एयर-सुपीरियरिटी ऑपरेशन का स्पष्ट संकेत है और पाकिस्तान की वायुसेना (PAF) को एक मनोवैज्ञानिक संदेश है कि भारत के पास किसी भी आक्रामक कार्रवाई को विफल करने की क्षमता है।
- पाकिस्तान पर अलर्ट: भारतीय घोषणा के बाद, इस्लामाबाद ने तुरंत सिंध और दक्षिणी पंजाब में हाई अलर्ट जारी कर दिया। पाकिस्तान को डर है कि इस अभ्यास का इस्तेमाल कराची के तटीय बुनियादी ढांचे को खतरे में डालने की क्षमता प्रदर्शित करने के लिए किया जा सकता है।
1.2. ‘ऑपरेशन सिंदूर’ का डर
पाकिस्तानी सैन्य हलकों में डर है कि भारत इस अभ्यास की आड़ में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ या किसी अन्य सर्जिकल स्ट्राइक से भी बड़े पैमाने पर कार्रवाई कर सकता है। यह आशंका इसलिए है क्योंकि भारत ने अतीत में सीमा पार की आतंकी गतिविधियों के खिलाफ अपनी सैन्य क्षमता का प्रदर्शन किया है, और ‘त्रिशूल’ अभ्यास उस क्षमता को अधिकतम सीमा तक प्रदर्शित करता है।
2. सर क्रीक (Sar Creek) पर नापाक चाल: होवरक्राफ्ट की तैनाती
भारत के युद्धाभ्यास के ऐलान के ठीक बाद, पाकिस्तानी नेवी चीफ एडमिरल नावेद अशरफ का सर क्रीक (Sar Creek) का दौरा करना और होवरक्राफ्ट को शामिल करना, पाकिस्तान की एक सोची-समझी आक्रामक रणनीति का हिस्सा है।
2.1. 2400TD होवरक्राफ्ट: ‘दलदली युद्ध’ का नया हथियार
- उपयोग का उद्देश्य: ये ब्रिटेन से हासिल किए गए होवरक्राफ्ट उथले पानी, दलदली भूमि और कीचड़ वाले तटीय क्षेत्रों में काम करने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं। सर क्रीक का इलाका, जो सामान्य नौकाओं के लिए अगम्य है, अब पाकिस्तान के लिए सुगम हो गया है।
- खतरा: यह प्लेटफॉर्म पाकिस्तानी मरीन बटालियनों को तेज गति से गश्त, सैनिकों की त्वरित तैनाती और भारतीय गश्ती दल पर अचानक हमला करने की क्षमता प्रदान करता है। यह भारतीय तटरक्षक बल (ICG) और सीमा सुरक्षा बल (BSF) के लिए एक नया परिचालन संकट पैदा करता है।
- कठोर संदेश: एडमिरल अशरफ ने जवानों से “सर क्रीक से जिवानी तक पाकिस्तानी की समुद्री सीमाओं के हर इंच की रक्षा” की शपथ ली। यह बयान दुनिया को यह दिखाने के लिए है कि पाकिस्तान इस विवादित जलधारा पर किसी भी तरह की चुनौती का जवाब देने के लिए सैन्य रूप से तैयार है।
2.2. भारत की प्रतिक्रिया: उकसावे के खिलाफ कड़ी निंदा
भारतीय खुफिया सूत्रों ने एडमिरल अशरफ की इस यात्रा को ‘जानबूझकर किया गया उकसावे भरा कदम’ बताया है। भारत इस पर कड़ी निगरानी रख रहा है और कूटनीतिक स्तर पर विरोध भी दर्ज कराया है। भारत जानता है कि पाकिस्तान का यह कदम उसकी आंतरिक असुरक्षा और भारतीय सैन्य अभ्यास के डर से उपजा है।
3. सर क्रीक (Sar Creek) का ‘कराची कनेक्शन’: क्यों यह 96KM की खाड़ी है ‘बारूद की सुरंग’?
Sar Creek : सर क्रीक का सामरिक महत्व इसके ऐतिहासिक और आर्थिक आयामों के कारण बारूद की सुरंग जैसा है।
3.1. $100 बिलियन का दांव: EEZ और संसाधन
- विशिष्ट आर्थिक क्षेत्र (EEZ): सर क्रीक (Sar Creek) का सीमांकन सीधे तौर पर दोनों देशों के विशिष्ट आर्थिक क्षेत्र की समुद्री सीमाएं निर्धारित करता है। यह क्षेत्र तेल, प्राकृतिक गैस और मछली जैसे संसाधनों से भरपूर है।
- हजारों किलोमीटर का नुकसान: यदि पाकिस्तान का दावा (खाड़ी का पूर्वी किनारा) माना जाता है, तो भारत को अरब सागर में हजारों वर्ग किलोमीटर का समुद्री क्षेत्र खोना पड़ सकता है, जिसका आर्थिक मूल्य अरबों डॉलर में है।
- थलवेग सिद्धांत: भारत का दावा थलवेग सिद्धांत पर आधारित है, जो अंतरराष्ट्रीय कानून के अनुसार मध्य जलधारा को सीमा मानता है, लेकिन पाकिस्तान इस पर अड़ा हुआ है।
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3.2. राजनाथ सिंह का ‘गेम चेंजर’ बयान
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की चेतावनी कि “कराची जाने का एक रास्ता सर क्रीक (Sar Creek) से होकर गुजरता है” इस विवाद की संवेदनशीलता को दर्शाता है।
- सीधी दूरी: सर क्रीक से कराची की दूरी 300 किलोमीटर से भी कम है।
- रणनीतिक खतरा: यह चेतावनी पाकिस्तान को स्पष्ट संकेत देती है कि सर क्रीक में कोई भी सैन्य हरकत भारत को पाकिस्तान के सबसे बड़े शहर और नौसैनिक अड्डे पर निर्णायक जवाबी कार्रवाई करने का रणनीतिक आधार दे सकती है, जिससे पाकिस्तान का भूगोल और इतिहास दोनों बदल सकते हैं।
उद्देश्य और व्यापकता
- एकीकृत कमांड का संकेत: अभ्यास का प्राथमिक लक्ष्य तीनों सेनाओं के बीच समन्वय (Coordination) और संयुक्तता (Jointness) को मजबूत करना है, जो भविष्य के एकीकृत थिएटर कमांड की स्थापना की दिशा में एक बड़ा कदम है। यह पाकिस्तान को स्पष्ट संकेत है कि किसी भी संघर्ष में भारत की जवाबी कार्रवाई एकल-मोर्चे की नहीं, बल्कि पूर्ण रूप से एकीकृत होगी।
- एयर-सुपीरियरिटी का प्रदर्शन: युद्धाभ्यास के लिए 28,000 फीट तक का एयरस्पेस आरक्षित करना दर्शाता है कि इसमें केवल गश्ती दल या छोटे विमान शामिल नहीं हैं। यह एयर-सुपीरियरिटी ऑपरेशन का संकेत है, जिसमें लंबी दूरी के वॉरहेड या मिसाइलों का परीक्षण भी शामिल हो सकता है। यह पाकिस्तान की वायुसेना के लिए एक बड़ी चुनौती है।
- रणनीतिक निरोध (Deterrence): यह अभ्यास पाकिस्तान को स्पष्ट निरोधक संदेश देता है कि भारत सीमा पार किसी भी नापाक हरक़त या आतंकी घुसपैठ का जवाब देने के लिए केवल थल सेना पर निर्भर नहीं है, बल्कि उसके पास समुद्र और हवा में भी निर्णायक क्षमता है।
1.2. पाकिस्तान की घबराहट की वजह
भारत के इस अभ्यास से पाकिस्तान सदमे में है। पाकिस्तान की दक्षिणी कमानों (सिंध और दक्षिणी पंजाब) को हाई अलर्ट पर रखा गया है। पाकिस्तानी मीडिया में यह चर्चा जोरों पर है कि कहीं भारत इस अभ्यास को अचानक एक वास्तविक सैन्य ऑपरेशन में न बदल दे। पाकिस्तान का यह डर नया नहीं है, खासकर ‘ऑपरेशन सिंदूर’ जैसे भारतीय सर्जिकल या एयर स्ट्राइक के बाद, जहाँ भारत ने स्पष्ट कर दिया था कि वह पारंपरिक सीमा रेखाओं का सम्मान करते हुए भी अपने हितों की रक्षा के लिए गहराई तक कार्रवाई कर सकता है।
2.1. होवरक्राफ्ट की तैनाती का रणनीतिक महत्व
एडमिरल अशरफ ने अपनी मरीन बटालियनों में ब्रिटेन से हासिल किए गए तीन अत्याधुनिक 2400TD होवरक्राफ्ट को शामिल किया। यह उपकरण सर क्रीक क्षेत्र के लिए सबसे उपयुक्त और सबसे खतरनाक है:
- दलदली इलाके में निर्बाध संचालन: सर क्रीक (Sar Creek) का 96 किलोमीटर का क्षेत्र कीचड़, दलदल और उथले पानी से भरा है, जहाँ सामान्य जहाज या नावें अक्सर बेकार साबित होती हैं। होवरक्राफ्ट को विशेष रूप से रेतीले टीलों और दलदली तटीय क्षेत्रों पर आसानी से चलने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
- घुसपैठ की क्षमता में वृद्धि: यह प्लेटफॉर्म पाकिस्तानी नौसेना को मुश्किल तटीय इलाकों में तेज गति से गश्त करने, सैनिकों को उतारने और भारतीय गश्ती दल पर अचानक हमला करने की क्षमता देता है। यह भारतीय सुरक्षा बलों के लिए एक नया और जटिल खतरा पैदा करता है।
- दावा मजबूत करना: एडमिरल अशरफ ने सार्वजनिक रूप से शपथ ली कि पाकिस्तान “सर क्रीक से लेकर जिवानी तक समुद्री सीमाओं के हर इंच की रक्षा करेगा।” यह बयान विवादित क्षेत्र पर अपने दावे को मजबूत करने और भारत को यह दिखाने का प्रयास है कि पाकिस्तान किसी भी सैन्य गतिविधि का जवाब देने के लिए तैयार है।
3. ‘सर क्रीक’ (Sar Creek) का भू-राजनीतिक दांव: कराची का रास्ता
सर क्रीक (Sar Creek) का विवाद केवल 96 किलोमीटर की खाड़ी का नहीं है, बल्कि यह दोनों देशों की समुद्री सुरक्षा, विशिष्ट आर्थिक क्षेत्र (EEZ) और बड़े आर्थिक हितों से जुड़ा है।
3.1. EEZ और आर्थिक नुकसान
- Sar Creek का सीमांकन ही यह तय करता है कि किस देश का विशिष्ट आर्थिक क्षेत्र (EEZ) कहाँ तक फैलेगा।
- यदि पाकिस्तान का दावा (पूर्वी किनारे) स्वीकार किया जाता है, तो भारत को अरब सागर में हजारों वर्ग किलोमीटर का समुद्री क्षेत्र (जो मछली पकड़ने, तेल और गैस संसाधनों के लिए महत्वपूर्ण है) खोना पड़ सकता है।
- भारत थलवेग सिद्धांत पर दृढ़ है, जिसके तहत अंतर्राष्ट्रीय सीमा खाड़ी के बीचोंबीच होनी चाहिए।
3.2. आतंकी घुसपैठ और रक्षा मंत्री की चेतावनी
यह दलदली क्षेत्र हमेशा से आतंकी घुसपैठ के लिए एक आसान रास्ता रहा है, खासकर 2008 के मुंबई हमलों के बाद से भारत इस क्षेत्र को लेकर अति संवेदनशील है।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की यह कड़े शब्दों वाली चेतावनी कि “कराची जाने का एक रास्ता सर क्रीक से होकर गुजरता है” पाकिस्तान को स्पष्ट संदेश देती है। सर क्रीक से कराची की दूरी 300 किलोमीटर से भी कम है। इसका मतलब है कि सर क्रीक (Sar Creek) में पाकिस्तान द्वारा कोई भी सैन्य दुस्साहस भारत को पाकिस्तान के प्रमुख बंदरगाह और औद्योगिक केंद्र पर हमला करने का सीधा रास्ता दे सकता है। यह चेतावनी इस बात का प्रमाण है कि भारत अब इस विवादित जलधारा को हल्के में नहीं ले रहा है।
4. भारत की नई नीति- दृढ़ता और समन्वय
पाकिस्तान द्वारा होवरक्राफ्ट की तैनाती और नेवी चीफ का दौरा उसकी चिंता और उकसावे की रणनीति का मिश्रण है। भारत की प्रतिक्रिया स्पष्ट और दृढ़ रही है: सैन्य अभ्यास के माध्यम से अपनी शक्ति और समन्वय को मजबूत करना, और किसी भी बाहरी दबाव या उकसावे से विचलित न होना।
भारत अब इस क्षेत्र में सैन्य प्रभुत्व बनाए रखने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है। सर क्रीक (Sar Creek) में पाकिस्तान की नापाक चालों का जवाब भारत सैन्य दृढ़ता, उन्नत निगरानी और कूटनीतिक दबाव के एक संतुलित मिश्रण से दे रहा है। themagnewz.in का विश्लेषण स्पष्ट करता है कि भारत की सशस्त्र सेनाएं, जो अब एक एकीकृत बल के रूप में कार्य कर रही हैं, सीमा पर किसी भी स्थिति से निपटने के लिए तैयार हैं, और पाकिस्तान के नए होवरक्राफ्ट उसे भू-राजनीतिक शतरंज में कोई रणनीतिक बढ़त नहीं दिला पाएंगे।
4.1. Discover के लिए अंतिम अपील – भारत की दृढ़ता
पाकिस्तान की वर्तमान चालें, चाहे वह होवरक्राफ्ट की तैनाती हो या नेवी चीफ का दौरा, उसके फियर फैक्टर को ही उजागर करती हैं। भारत का ‘त्रिशूल’ युद्धाभ्यास सिर्फ सैन्य शक्ति का प्रदर्शन नहीं, बल्कि राष्ट्रीय हितों और संप्रभुता की रक्षा का एक अटूट संकल्प है।
भारत इस समय अपनी नौसैनिक और हवाई क्षमता को मजबूत कर रहा है, और यह स्पष्ट संदेश दे रहा है कि वह किसी भी दबाव या उकसावे के सामने नहीं झुकेगा। आने वाले दिनों में सर क्रीक (Sar Creek) की निगरानी दोनों देशों के बीच तनाव का सबसे बड़ा केंद्र बनी रहेगी।
प्रकाशन तिथि: 25 अक्टूबर 2025 लेखक: गौरव राय |
श्रेणी: राष्ट्रीय सुरक्षा | अंतरराष्ट्रीय संबंध | रक्षा विश्लेषण
✍️ लेखक परिचय:
गौरव राय एक बहुआयामी भू‑रणनीतिकार, अंतर्राष्ट्रीय भू‑राजनीति विशेषज्ञ और AI नीति विशेषज्ञ हैं। 8+ वर्षों के अनुभव के साथ, वे राष्ट्रीय सुरक्षा जोखिमों, आर्थिक कूटनीति और तकनीकी व्यवधानों का गहन विश्लेषण कर रणनीतिक समाधान प्रस्तुत करते हैं। उनकी विशेषज्ञता आधुनिक कूटनीति और AI नीति को जोड़ती है।
“गौरव राय – जहां भू‑रणनीति मिलती है AI नीति से।”







