Bihar News : मोकामा/पटना (बिहार): बिहार की राजनीति एक बार फिर चुनावी हिंसा और बाहुबल के खूनी खेल से लहूलुहान हो गई है। पटना जिले के मोकामा विधानसभा क्षेत्र में गुरुवार (30 अक्टूबर) को हुए एक सनसनीखेज हत्याकांड ने पूरे प्रदेश को स्तब्ध कर दिया है।
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जनसुराज (Jan Suraaj) पार्टी के उम्मीदवार पीयूष प्रियदर्शी के काफिले पर हुए हमले में उनके करीबी और मोकामा टाल इलाके के दबंग नेता दुलारचंद यादव (Dularchand Yadav) की गोली मारकर हत्या कर दी गई है।
इस जघन्य वारदात का सीधा आरोप जनता दल यूनाइटेड (JDU) के प्रत्याशी और बाहुबली नेता अनंत सिंह (Anant Singh) के समर्थकों पर लगा है। यह घटना मोकामा की चुनावी रंजिश को एक खतरनाक मोड़ पर ले आई है, जहाँ सत्ता और वर्चस्व की लड़ाई में एक अनुभवी राजनीतिक हस्ती की जान चली गई।
आरजेडी (RJD) के पुराने सिपहसालार रहे दुलारचंद यादव की हत्या ने प्रशांत किशोर के जनसुराज आंदोलन और बिहार के चुनावी माहौल पर गहरे सवाल खड़े कर दिए हैं।
🩸 Bihar News : पल-पल का घटनाक्रम: मोकामा के घोसवरी में कैसे हुई वारदात?
मोकामा हत्याकांड का यह घटनाक्रम दोपहर में शुरू हुआ और इसने जल्द ही बिहार की राजनीति में तूफान खड़ा कर दिया। जानकारी के अनुसार, जनसुराज कैंडिडेट पीयूष प्रियदर्शी अपने समर्थकों के साथ घोसवरी इलाके में चुनाव प्रचार कर रहे थे।
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1. Bihar News : आमना-सामना और विवाद की शुरुआत
जनसुराज के नेता और चश्मदीद गोविंद ने घटना का विवरण देते हुए बताया कि उनका काफिला करीब 10 गाड़ियों का था। जब उनका काफिला घोसवरी क्षेत्र से गुजर रहा था, तभी सामने से अनंत सिंह का चुनावी काफिला आ गया। दोनों बाहुबली गुटों के समर्थकों के बीच पहले कहा-सुनी हुई।
2. Bihar News : लाठी-डंडों से जानलेवा हमला
गोविंद के मुताबिक, दोनों काफिले जब एक-दूसरे को पार कर रहे थे, तभी अनंत सिंह के काफिले में से कुछ समर्थक अचानक अपनी गाड़ियों से निकले। उन्होंने पीयूष प्रियदर्शी की गाड़ी पर लाठी-डंडों और पत्थरों से हमला करना शुरू कर दिया। इस दौरान गाड़ी के शीशे तोड़ दिए गए और काफिले में तोड़फोड़ की गई। यह हमला दर्शाता है कि मोकामा में चुनाव प्रचार शांतिपूर्ण न होकर, बाहुबल के प्रदर्शन पर आधारित है।
3. Bihar News : दुलारचंद यादव को लगी गोली
झड़प और हंगामे के बीच फायरिंग शुरू हो गई। इस गोलीबारी में दुलारचंद यादव को निशाना बनाया गया। उन्हें सीने में गोली लगी और वह मौके पर ही गिर पड़े। आनन-फानन में उन्हें अस्पताल ले जाया गया, लेकिन तब तक उनकी मौत हो चुकी थी। यह घटना मोकामा की कानून-व्यवस्था पर गंभीर प्रश्न चिन्ह लगाती है, जहाँ दिन-दहाड़े एक राजनीतिक कार्यकर्ता की हत्या कर दी गई।
4. पुलिस की कार्रवाई और क्षेत्र में तनाव
घटना की सूचना मिलते ही स्थानीय पुलिस बल मौके पर पहुँचा। क्षेत्र में भारी तनाव को देखते हुए अतिरिक्त सुरक्षाकर्मियों को तैनात किया गया है। पुलिस ने दुलारचंद यादव के शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा है और अनंत सिंह के समर्थकों के खिलाफ प्राथमिकी (FIR) दर्ज करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए स्वयं इसकी निगरानी कर रहे हैं।
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👤 कौन थे दुलारचंद यादव? जिसकी मोकामा टाल में चलती थी धाक
Bihar News : दुलारचंद यादव सिर्फ एक चुनावी समर्थक नहीं थे, बल्कि मोकामा टाल (Mokama Taal) क्षेत्र में उनका राजनीतिक और सामाजिक दबदबा दशकों पुराना था। उनकी पहचान कई प्रमुख कारणों से थी:
1. लालू यादव के ‘खास’ और RJD के स्तंभ
दुलारचंद यादव को एक समय आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के बेहद करीबी लोगों में गिना जाता था। वह 1990 के दशक में लालू यादव के सत्ताकाल में पार्टी के सक्रिय कार्यकर्ता और ग्राउंड-लेवल के काडर को संगठित करने वाले प्रमुख चेहरे थे। मोकामा टाल क्षेत्र के सामाजिक समीकरणों को समझने और आरजेडी की पकड़ मजबूत करने में उनका महत्वपूर्ण योगदान रहा था। उनकी हत्या को आरजेडी के पुराने गढ़ में एक बड़ी क्षति के रूप में देखा जा रहा है।
2. टाल इलाके के दबंग नेता
राजनीति के साथ-साथ, दुलारचंद यादव का स्थानीय सामाजिक दायरा और प्रभाव काफी बड़ा था। मोकामा टाल क्षेत्र, जो अक्सर अपने बाहुबली नेताओं और वर्चस्व की लड़ाइयों के लिए चर्चा में रहता है, में उनका नाम बड़े आदर और कुछ हद तक खौफ के साथ लिया जाता था।
3. जनसुराज और पीयूष प्रियदर्शी का समर्थन
Bihar News : हाल के वर्षों में, उन्होंने प्रशांत किशोर के जनसुराज आंदोलन (Prashant Kishor Jan Suraaj) का समर्थन करना शुरू कर दिया था। वह मोकामा सीट से जनसुराज उम्मीदवार पीयूष प्रियदर्शी (जिन्हें ‘लल्लू मुखिया’ भी कहा जाता है) के लिए पूरी ताकत से प्रचार कर रहे थे। यहाँ तक कि उन्होंने कुछ दिन पहले ही पीयूष प्रियदर्शी के समर्थन में एक चुनावी गीत भी गाया था, जो स्थानीय स्तर पर वायरल हुआ था।
उनकी हत्या, जनसुराज के लिए एक बड़ा झटका है जो मोकामा में बाहुबल के खिलाफ एक वैकल्पिक राजनीति स्थापित करने की कोशिश कर रहा था।
⚖️ बाहुबल का टकराव: अनंत सिंह बनाम जनसुराज की लड़ाई
Bihar News: मोकामा की राजनीति हमेशा से बाहुबल के इर्द-गिर्द घूमती रही है। इस बार, यह लड़ाई जेडीयू के अनंत सिंह और जनसुराज के पीयूष प्रियदर्शी के बीच केंद्रित हो गई है, जहाँ दुलारचंद यादव की हत्या ने इसे एक खूनी रंजिश में बदल दिया है।
1. अनंत सिंह: ‘छोटे सरकार’ का वर्चस्व
अनंत सिंह का मोकामा सीट पर दशकों से एकछत्र राज रहा है। उनकी पहचान छोटे सरकार के रूप में है और उनका प्रभाव क्षेत्र में निर्विवाद माना जाता है। वह वर्तमान में जेडीयू के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। उनकी चुनावी ताकत का मुकाबला करने के लिए जनसुराज ने पीयूष प्रियदर्शी को मैदान में उतारा है, जिन्हें दुलारचंद यादव का समर्थन प्राप्त था।
2. सूरजभान सिंह का एंगल और राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप
यह मामला तब और गरमा गया जब अनंत सिंह ने हत्याकांड के बाद पलटवार करते हुए, दूसरे बाहुबली नेता सूरजभान सिंह के समर्थकों पर भी इस वारदात में शामिल होने का बड़ा आरोप लगाया। सूरजभान सिंह की पत्नी भी इस क्षेत्र से चुनाव लड़ रही हैं। अनंत सिंह का यह दावा कि यह हत्या सूरजभान सिंह ने करवाई है, मोकामा की राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता को और अधिक जटिल और खतरनाक बना देता है। यह साफ दिखाता है कि मोकामा की लड़ाई अब केवल दो पार्टियों के बीच नहीं, बल्कि बाहुबलियों के वर्चस्व की लड़ाई बन गई है।
3. प्रशांत किशोर की कड़ी प्रतिक्रिया
जनसुराज आंदोलन के सूत्रधार प्रशांत किशोर ने इस घटना पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। उन्होंने हमेशा बिहार की राजनीति में बाहुबल, भ्रष्टाचार और अफसरशाही के खिलाफ आवाज़ उठाई है। इस हत्याकांड ने उनके आंदोलन की नींव पर सीधा हमला किया है।
प्रशांत किशोर ने कड़ी निंदा करते हुए कहा है कि यह हत्या दर्शाती है कि बिहार में आज भी सुशासन का दावा खोखला है और बाहुबलियों को सत्ता का संरक्षण प्राप्त है। उन्होंने नीतीश कुमार के सुशासन पर सवाल उठाते हुए इस मामले में तत्काल और निष्पक्ष जांच की मांग की है।
🔎 पुलिस जाँच और कानून-व्यवस्था पर सवाल
मोकामा हत्याकांड ने एक बार फिर बिहार में कानून-व्यवस्था की स्थिति पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
- एफआईआर और गिरफ्तारी: पुलिस ने इस मामले में अनंत सिंह के कुछ समर्थकों को नामजद करते हुए एफआईआर दर्ज की है। पुलिस टीम हमलावरों की पहचान और गिरफ्तारी के लिए छापेमारी कर रही है।
- चुनावी हिंसा का खतरा: चुनाव आयोग के लिए भी यह घटना एक गंभीर चुनौती है। मोकामा का इतिहास चुनावी हिंसा का रहा है और इस हत्याकांड से यह आशंका बढ़ गई है कि चुनाव के दौरान और भी अधिक हिंसा हो सकती है।
- जनता में डर: दुलारचंद यादव जैसे प्रभावशाली नेता की सरेआम गोली मारकर हत्या किए जाने से मोकामा टाल के आम लोगों में डर का माहौल है। जनसुराज पार्टी के कार्यकर्ता भी सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं।
निष्कर्ष:
दुलारचंद यादव की हत्या सिर्फ एक व्यक्तिगत अपराध नहीं है; यह बिहार की उस राजनीति पर एक काला धब्बा है, जो अभी भी बाहुबल और बंदूक की नली से निर्देशित होती है। अनंत सिंह बनाम जनसुराज की यह खूनी जंग दर्शाती है कि मोकामा की सत्ता का रास्ता केवल वोटों से नहीं, बल्कि रंजिश और राजनीतिक हत्याओं से भी होकर गुजरता है। इस घटना ने एक बार फिर प्रशांत किशोर के इस दावे को बल दिया है कि बिहार में बदलाव के लिए बाहुबल की राजनीति को खत्म करना पहली शर्त है।
आगे की कार्रवाई: पुलिस को जल्द से जल्द निष्पक्ष जांच कर अपराधियों को पकड़ना होगा, ताकि मोकामा में लोकतंत्र की हत्या न हो और चुनावी हिंसा की यह आग पूरे प्रदेश में न फैले।







