‘One Nation One Election’ से कितना बदल जाएगा भारत का चुनाव? क्या होगी इसकी रूपरेखा ? जानिए हर सवाल का जवाब

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‘One Nation One Election’ से कितना बदल जाएगा भारत का चुनाव? क्या होगी इसकी रूपरेखा ? जानिए हर सवाल का जवाब……

One Nation One Election के लिए कोविंद कमेटी (Ramnath Kovind Committee) का गठन 2 सितंबर 2023 को किया गया था. कमिटी ने 14 मार्च को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को अपनी रिपोर्ट सौंप दी थी. इसे बुधवार को मोदी कैबिनेट ने मंजूरी दी. कमेटी ने सभी विधानसभाओं का कार्यकाल 2029 तक बढ़ाने का सुझाव दिया है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने 2014 में ‘वन नेशन वन इलेक्शन’ यानी एक देश एक चुनाव का वादा किया था. मोदी कैबिनेट ने ‘वन नेशन वन इलेक्शन’ (One Nation One Election) प्रस्ताव को आखिरकार बुधवार (18 सितंबर) को मंजूरी दे दी. वन नेशन वन इलेक्शन का प्रोसेस तय करने के लिए पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाई गई थी, इसमें 8 सदस्य थे.

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कोविंद कमेटी (Ramnath Kovind Committee) का गठन 2 सितंबर 2023 को किया गया था. कमिटी ने 14 मार्च को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को अपनी रिपोर्ट सौंप दी थी. इसे बुधवार को मोदी कैबिनेट ने मंजूरी दी. कमेटी ने सभी विधानसभाओं का कार्यकाल 2029 तक बढ़ाने का सुझाव दिया है. संसद के शीतकालीन सत्र में इसपर बिल पेश किया जा सकता है.

आइए जानते हैं कब से लागू हो सकता है (One Nation One Election)? जिन विधानसभाओं का कार्यकाल पूरा नहीं हुआ है, उनका क्या होगा? वन नेशन वन इलेक्शन के लागू होने के बाद देश में चुनाव की प्रक्रिया कितनी बदल जाएगी:-

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Explainer: वन नेशन-वन इलेक्शन आखिर कैसे करेगा काम? क्या होगी इसकी रूपरेखा, जानें इसके फायदे और नुकसान

आजादी के बाद एक साथ हो चुके हैं चुनाव

भारत के लिए यह कोई नया कॉन्सेप्ट नहीं है देश में आजादी के बाद से 1967 तक लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एक साथ कराए गए थे। 1952, 1957, 1962 और 1967 में दोनों चुनाव एक साथ हुए थे, लेकिन राज्यों के पुनर्गठन और अन्य कारणों से चुनाव अलग-अलग समय पर होने लगे।

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एक देश एक चुनाव को मोदी सरकार क्यों जरूरी मानती है, इसे समझिए-

  • इससे जनता को बार-बार के चुनाव से मुक्ति मिलेगी। चुनावी खर्च बचेगा और वोटिंग परसेंट में इजाफा होगा।
  • हर बार चुनाव कराने पर करोड़ों रुपये खर्च होते हैं, जो कि कम हो सकते हैं।
  • इसके अलावा देश में राजनीतिक स्थिरता लाने में ये अहम रोल निभा सकता है।
  • इलेक्शन की वजह से बार बार नीतियों में बदलाव की चुनौती कम होगी।
  • सरकारें बार-बार चुनावी मोड में जाने की बजाय विकास कार्यों पर ध्यान केंद्रित कर सकेंगी।
  • प्रशासन को भी इसका फायदा मिलेगा, गवर्नेंस पर जोर बढ़ेगा।
  • पॉलिसी पैरालिसिस जैसी स्थिति से छुटकारा मिलेगा।अधिकारियों का समय और एनर्जी बचेगी।
  • इसका बड़ा आर्थिक फायदा भी है। सरकारी खजाने पर बोझ कम होगा और आर्थिक विकास में तेजी आएगी।

रामनाथ कोविंद कमेटी की सिफारिशें-

पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली एक उच्च-स्तरीय समिति ने पहले कदम के तहत लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के लिए एक साथ चुनाव कराने की तथा इसके बाद 100 दिनों के भीतर एक साथ स्थानीय निकाय चुनाव कराने की सिफारिश की थी। इस समिति ने अपनी सिफारिशों में कहा कि त्रिशंकु स्थिति या अविश्वास प्रस्ताव या ऐसी किसी स्थिति में नयी लोकसभा के गठन के लिए नए सिरे से चुनाव कराए जा सकते हैं।

समिति ने कहा कि लोकसभा के लिए जब नये चुनाव होते हैं, तो उस सदन का कार्यकाल ठीक पहले की लोकसभा के कार्यकाल के शेष समय के लिए ही होगा। जब राज्य विधानसभाओं के लिए नए चुनाव होते हैं, तो ऐसी नयी विधानसभाओं का कार्यकाल (अगर जल्दी भंग नहीं हो जाएं) लोकसभा के पूर्ण कार्यकाल तक रहेगा।

समिति ने कहा कि इस तरह की व्यवस्था लागू करने के लिए, संविधान के अनुच्छेद 83 (संसद के सदनों की अवधि) और अनुच्छेद 172 (राज्य विधानमंडलों की अवधि) में संशोधन की आवश्यकता होगी. समिति ने कहा, ‘इस संवैधानिक संशोधन की राज्यों द्वारा पुष्टि किए जाने की आवश्यकता नहीं होगी।’ उसने यह भी सिफारिश की कि भारत निर्वाचन आयोग राज्य चुनाव अधिकारियों के परामर्श से एकल मतदाता सूची और मतदाता पहचान पत्र तैयार करे। समिति ने कहा कि इस उद्देश्य के लिए मतदाता सूची से संबंधित अनुच्छेद 325 को संशोधित किया जा सकता है।

वन नेशन-वन इलेक्शन व्यवस्था लागू करने में चुनौतियां भी कम नहीं

  1. वन नेशन-वन इलेक्शन व्यवस्था लागू करने में सबसे बड़ी चुनौती है संविधान और कानून में बदलाव। एक देश एक चुनाव के लिए संविधान में संशोधन करना पड़ेगा। इसके बाद इसे राज्य विधानसभाओं से पास कराना होगा।
  2. वैसे तो लोकसभा और राज्य विधानसभाओं का कार्यकाल पांच साल का होता है लेकिन इन्हें पहले भी भंग किया जा सकता है। सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती होगी कि अगर लोकसभा या किसी राज्य की विधानसभा भंग होती है तो एक देश, एक चुनाव का क्रम कैसे बनाए रखें।
  3. अपने देश में ईवीएम और वीवीपैट से चुनाव होते हैं, जिनकी संख्या सीमित है। लोकसभा और विधानसभा के चुनाव अलग-अलग होने से इनकी संख्या पूरी पड़ जाती है।
  4. एक साथ लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव होंगे तो अधिक मशीनों की जरूरत पड़ेगी। इनको पूरा करना भी चुनौती होगी।
  5. एक साथ चुनाव के लिए ज्यादा प्रशासनिक अफसरों और सुरक्षाबलों की जरूरत को पूरा करना भी एक बड़ा सवाल बनकर सामने आएगा।

राजनीतिक दलों में नहीं बन रही एक राय

लेकिन यहां हम आपको बता दें कि वन नेशन-वन इलेक्शन के लिए सभी राजनीतिक दलों के अलग-अलग विचार हैं, इस पर एक राय नहीं बन पा रही है। कुछ राजनीतिक दलों का मानना है कि ऐसे चुनाव से राष्ट्रीय दलों को तो फायदा होगा, लेकिन क्षेत्रीय दलों को इससे नुकसान होगा। खासकर क्षेत्रीय दल इस तरह के चुनाव के लिए तैयार नहीं हैं। इनका यह भी मानना है कि अगर वन नेशन-वन इलेक्शन की व्यवस्था की गई तो राष्ट्रीय मुद्दों के सामने राज्य स्तर के मुद्दे दब जाएंगे।

One Nation One Election का क्यों लिया फैसला? One Nation One Election पर सरकार ने क्या कहा?

कैबिनेट मीटिंग के बाद केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कोविंद कमेटी की रिपोर्ट को लेकर मीडिया ब्रीफिंग दी. उन्होंने बताया कि
देश में एक कॉमन इलेक्टोरल रोल होगा.


-कमेटी ने दो फेज में चुनाव कराने का सुझाव दिया है. पहले फेज में लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव कराए जाएंगे. जबकि 100 दिन के अंदर दूसरे फेज में लोकल बॉडी (निकाय चुनाव)के इलेक्शन होंगे. 


– कोविंद कमेटी की ये सिफारिशें 2029 के लोकसभा चुनाव के बाद लागू होंगी. 2029 के लोकसभा चुनाव के बाद राष्ट्रपति एक नियत तारीख तय करेंगे, जिससे राज्यों और केंद्र के चुनाव एक साथ कराए जाएंगे. इसके लिए कम से कम 5 से 6 संवैधानिक संशोधन की जरूरत पड़ेगी.


-केंद्रीय मंत्री ने कहा कि मोदी कैबिनेट ने वन नेशन वन इलेक्शन पर कोविंद कमेटी के सुझावों पर विचार करने के लिए देशभर में चर्चा करेगी. इसके बाद ही अगला कदम उठाया जाएगा.

One Nation One Election: मोदी कैबिनेट ने बुधवार (18 सितंबर 2024) को वन नेशन वन इलेक्शन के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है. इससे अब देश की कुल 543 लोकसभा सीट और सभी राज्‍यों की कुल 4130 विधानसभा सीटों पर एक साथ चुनाव कराने का रास्ता खुलता नजर आ रहा है. इस मामले को लेकर पूरे देश में राजनीति गरम है. इस बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक देश एक चुनाव के प्रस्ताव को मंजूरी मिलने के बाद प्रतिक्रिया व्यक्त की है.

कोई राजनीतिक मकसद नहीं- पीएम मोदी

कैबिनेट मीटिंग में एक देश एक चुनाव का जिक्र करते हुए पीएम मोदी ने कहा, “यह लोगों की लंबे समय से लंबित मांग रही है और हम इसे लोगों के हित को ध्यान में रखते हुए लाए हैं. इसका कोई राजनीतिक मकसद नहीं है.” पीएम ने कहा, “महत्वपूर्ण पहलू देश के लोगों को ओएनओपी की नाविक विशेषताओं के बारे में शिक्षित करना होगा. हमने केवल उसी का सम्मान किया है जो देश के लोग बहुत लंबे समय से चाहते रहे हैं. लगातार चुनाव, शासन और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि कानून व्यवस्था पीछे रह जाती है और यह किसी भी देश के लिए अच्छा नहीं है.”

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‘भारत का लोकतंत्र और मजबूत होगा’

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक्स पर पोस्ट कर कहा कि कैबिनेट ने एक साथ चुनाव कराने संबंधी उच्च स्तरीय समिति की सिफारिशों को स्वीकर कर लिया है. उन्होंने कहा, “मैं इस प्रयास की अगुआई करने और विभिन्न हितधारकों और विभिन्न हितधारकों से परामर्श करने के लिए हमारे पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की सराहना करता हूं. यह हमारे लोकतंत्र को और भी अधिक जीवंत और सहभागी बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है.”

पीएम मोदी ने बार-बार इस बात पर जोर दिया है कि इस देश को वन नेशन वन इलेक्शन की जरूरत है और इस पर बहस नहीं की जा सकती. केंद्र सरकार वन नेशन वन इलेक्शन बिल को शीतकालीन सत्र में संसद से पास कराएगी, जिसके बाद यह कानून बन जाएगा.

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