गलवान में PLA सैनिकों की मौत से बौखलाए चीनी, भारतीय दूतावास को कर रहे टारगेट, ऐसे निकाल रहे भड़ास

themagnewz09

Rate this post

गलवान खूनी संघर्ष की सच्चाई को आठ महीने तक छिपाने के बाद आखिरकार चीन ने कबूल कर लिया कि उस खूनी झड़प में उसके भी चार सैनिक मारे गए थे और एक रेस्क्यू के दौरान मरा था। पीएलए की सेना की मौत को लेकर ड्रैगन के इस खुलासे के बाद चीन में बवाल मच गया है, चीनी लोग बौखलाए गए हैं और अब वह हेट मैसेज, अपशब्द व गाली-गलौज पर उतर आए हैं। इतना ही नहीं, वहां की सोशल मीडिया में भारत विरोधी संदेशों की बाढ़ आ गई है और अपनी खीच उतारने के लिए चीनी सोशल मीडिया यूजर्स अब बीजिंग स्थित भारतीय दूतावास के सोशल मीडिया अकाउंट को निशाना बना रहे हैं। बता दें कि गलवान घाटी हिंसा में भारत के 20 जवान शहीद हुए थे, वहीं चीन ने अपने सैनिकों की मरने की बात को आठ महीने तक दबाए रखा, जिसे लेकर भी वहां के लोगों में काफी रोष है। 

गलवान घाटी हिंसा को लेकर चीन के खुलासे के बाद चीन में भारतीय दूतावास के वीवो अकाउंट ( ट्विटर की तरह वाला अकाउंट) को अपमानजनक संदेशों से टारगेट किया जा रहा है। बता दें कि पीएलए डेली न्यूजपेपर में शुक्रवार को चीन ने दावा किया कि उसके चार सैनिक मारे गए थे और एक घायल हुआ था, जो बाद में रेस्क्यू के दौरान मर गया। इस खुलासे के बाद चीन के लोग काफी भावनात्मक हो गए हैं और चीनी सरकार पर अपनी बौखलाहट और खीझ उतारने की बजाय भारतीय दूतावास के वीवो अकाउंट पर गाली-गलौज कर रहे हैं और अपमानजनक संदेशों से टारगेट कर रहे हैं।

चीनी सैनिकों के मारे जाने की खबर के बाद वहां के नागरिकों में इमोशन अपने हाई लेवल पर है। चीन की सरकारी मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, पीएलए के सैनिकों के बारे में अपमानजनक टिप्पणी प्रकाशित करने के लिए एक व्यक्ति को नानजिंग शहर में गिरफ्तार किया गया था। बता दें कि इस खुलासे के बाद चीन ने चालाकी दिखाते हुए गलवान संघर्ष के कई वीडियो भी जारी किए। शुक्रवार को पिछले साल जून में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच गाल्वान घाटी में हुई झड़प के कई कथित वीडियो कई वेबसाइटों पर अपलोड किए गए और इन्हें लाखों लोगों ने देखा। हालांकि, इनमें से किसी भी वीडियो में यह दावा नहीं किया गया है कि भारत के 20 जवान शहीद हुए हैं।
 
गलवान संघर्ष में मारे गए चारों चीनी सैनिकों की तस्वीरें वहां की सोशल मीडिया पर वायरल हैं। इस दौरान चीनी नागरिकों की ओर से तीखी प्रतिक्रिया भी देखने को मिल रही है। चीनी सैनिकों के मरने से वहां के लोगों में गुस्सा इसलिए भी है क्योंकि वहां के लाखों-करोड़ों लोगों ने दशकों बाद अपने सैनिकों को मरते हुए देखा है। यही वजह है कि उनका दुख सामने आ रहा है। 

चीनी सैनिकों की मौत के बाद से चीन में यूनिवर्सिटी-कॉलेजों में श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया जा रहा है और मृतक सैनिकों की तस्वीरें लगाईं जा रही हैं। हालांकि, चीनी सरकार पर युवाओं के निशाने पर है। वहां के लोग यह सवाल पूछ रहे हैं कि सरकार ने आखिर इतने दिनों तक यह बात क्यों छिपाई। इन सवालों का जवाब देने के लिए चीन सरकार की ओर उसका मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स सामने आया है। चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के भोंपू कहे जाने वाले ग्लोबल टाइम्स ने अपने संपादकीय में यह बताया है कि आखिर इस सूचना को आठ महीने तक क्यों छिपाया गया।

ग्लोबल टाइम्स लिखता है, ‘पिछले साल गलवान घाटी में जो हिंसा हुई थी, उस समय तनावपूर्ण स्थिति को देखते हुए हताहतों का खुलासा करने से बचना सीमा की स्थिति की स्थिरता के लिए अधिक अनुकूल था। ग्लोबल टाइम्स के संपादकीय में कहा गया है कि अब जबकि सीमा गतिरोध का दौर समाप्त हो गया है, हमें चीनी सैनिकों (ग्लोबल टाइम्स ने नायक करार दिया है) के कामों को सार्वजनिक करना चाहिए ताकि सभी चीनी लोग उनके बलिदान को समझ सकें और उनकी प्रशंसा कर सकें।

ग्लोबल टाइम्स यह भी लिखता है कि चीन ने गलवान झड़प के पहले किसी विदेशी सेना के साथ संघर्ष में अपने सैनिकों का बलिदान नहीं देखा है। 1995 और 2000 के बाद जन्म लेने वाले युवा सैनिकों के बलिदान ने देश को झकझोर दिया है। यही वजह है कि चीनी लोगों में इस खुलासे के बाद कुछ ज्यादा ही आक्रोश और झल्लाहट है जो भारतीय दूतावास को गाली देकर निकाल रहे हैं। बता दें कि चीन के पांच सैनिकों की मरने का दावा भी झूठा प्रतीत होता है, क्योंकि भारत समेत दुनियाभर की कई एजेंसियों ने दावा किया है कि चीन के चालीस से अधिक सैनिक गलवान संघर्ष में मारे गए थे।

Leave a Comment