Hindi News : Jammu Kashmir Assembly Election: पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की स्थापना 1999 में पूर्व केंद्रीय गृह मंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद ने की थी। कांग्रेस से अलग होकर सईद ने पीडीपी की शुरुआत की थी। 2016 में सईद के निधन के बाद महबूबा मुफ्ती राज्य की पहली महिला मुख्यमंत्री बनीं।
Jammu Kashmir Election 2024
जम्मू कश्मीर करीब 10 साल बाद जम्हूरियत का जश्न मनाने के लिए तैयार है। 90 सीटों वाली विधानसभा के लिए तीन चरण में मतदान कराए जाएंगे। यहां फिलहाल चुनावी प्रक्रिया चल रही है। चुनाव से पहले तमाम बड़े दलों ने सियासी बिसात बिछानी शुरू कर दी है। इस चुनाव में पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती की जम्मू कश्मीर पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी भी उतरी है। जहां कांग्रेस ने फारुख अब्दुल्ला की नेशनल कॉन्फ्रेंस के साथ गठबंधन किया है वहीं पीडीपी अकेले ही चुनाव लड़ रही है। पिछले विधानसभा चुनाव के बाद पीडीपी ने तीन साल तक भाजपा के साथ गठबंधन की सरकार चलाई थी।
Hindi News : आइये जानते हैं पीडीपी की पूरी कहानी…
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Hindi News today : कांग्रेस से अलग हुए मुफ्ती मोहम्मद सईद ने बनाई पीडीपी
पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी जम्मू कश्मीर में एक क्षेत्रीय राजनीतिक पार्टी है। इसकी स्थापना जुलाई 1999 में पूर्व केंद्रीय गृह मंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद ने की थी। 1998 के लोकसभा चुनाव में सईद ने अनंतनाग लोकसभा सीट जीती, लेकिन जल्द ही उन्होंने अपने पद और कांग्रेस से इस्तीफा देकर राज्य में एक क्षेत्रीय दल पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की शुरुआत की। मुफ्ती मोहम्मद सईद पार्टी के पहले अध्यक्ष चुने गए।
मुफ्ती मोहम्मद सईद पहले कांग्रेस पार्टी के सदस्य रह चुके हैं। 1986 में प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने उन्हें केंद्रीय पर्यटन मंत्री नियुक्त किया था। 1987 में मेरठ दंगों के बाद कांग्रेस के रुख के विरोध में उन्होंने केंद्रीय मंत्री और बाद में कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया था। उन्होंने वीपी सिंह के साथ मिलकर जन मोर्चा की स्थापना की, जो बाद में जनता दल बन गया। 1989 में जनता दल के नेतृत्व वाली पार्टियों का गठबंधन ‘नेशनल फ्रंट’ सत्ता में आया।
2 दिसंबर 1989 को वीपी सिंह ने देश के प्रधानमंत्री के तौर पर शपथ ली। मुफ्ती मोहम्मद सईद को वीपी सिंह की कैबिनेट में जगह मिली। सईद देश के पहले मुस्लिम गृह मंत्री बने। नई सरकार के गठन को एक हफ्ता भी नहीं बीता था कि सईद के सामने एक बहुत बड़ा संकट खड़ा हो गया। यह संकट देश से भी जुड़ा था और खुद उनके परिवार से भी जुड़ा था।
दरअसल, 8 दिसंबर 1989 को देश के गृह मंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी रुबैया सईद (महबूबा मुफ्ती की बहन) का जेकेएलएफ के आतंकवादियों ने अपहरण कर लिया। रुबैया को पांच दिन बाद रिहा किया गया, जब केंद्र सरकार ने बदले में पांच आतंकवादियों को रिहा कर दिया। जुलाई 2022 में रुबैया ने जेकेएलएफ प्रमुख यासीन मलिक और तीन अन्य को अपने अपहरणकर्ता के रूप में पहचाना था।
पहले ही चुनाव में पीडीपी को मिली सत्ता | Google Hindi News
2002 में जम्मू कश्मीर में विधानसभा चुनाव हुए और यह पीडीपी के लिए पहला विधानसभा चुनाव था। पहले चुनाव में पीडीपी ने 9.28% मत प्रतिशत के साथ 16 सीटें जीतीं। अन्य दलों के प्रदर्शन की बात करें तो नेशनल कॉन्फ्रेंस सबसे बड़ी पार्टी बनी लेकिन बहुमत नहीं पा सकी।
नतीजों के बाद पीडीपी ने कांग्रेस के साथ मिलकर गठबंधन सरकार बनाई जिसने 20 सीटें जीती थीं। इस गठबंधन सरकार में पीडीपी के मुफ्ती मोहम्मद सईद पहले तीन साल मुख्यमंत्री रहे। सईद ने अक्तूबर 2002 से नवंबर 2005 के बीच पीडीपी-कांग्रेस गठबंधन सरकार का नेतृत्व किया था। हालांकि, अगले तीन साल कांग्रेस के गुलाम नबी आजाद मुख्यमंत्री रहे जो अब अपनी नई पार्टी बना चुके हैं। बता दें कि धारा 370 हटने से पहले जम्मू कश्मीर की विधानसभा का कार्यकाल छह साल का होता था।
2008 के चुनाव से पहले टूटा कांग्रेस से गठबंधन | Congress and PDP part ways : Hindi News
2002 के बाद 2008 में जम्मू कश्मीर में विधानसभा के लिए चुनाव होने थे। हालांकि, अमरनाथ भूमि हस्तांतरण के फैसले के विरोध में पीडीपी ने कांग्रेस के नेतृत्व वाली राज्य सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया। 2008 में जब विधानसभा के चुनाव हुए तो एक बार फिर नेशनल कॉन्फ्रेंस राज्य में सबसे बड़ी पार्टी बनी। पीडीपी की बात करें तो इसने 16 सीटों के अपने पिछले प्रदर्शन को बेहतर करते हुए 21 सीटें जीतीं। इसके साथ ही पार्टी को 15.39% वोट हासिल हुए। नेशनल कॉन्फ्रेंस (नेकां) एक बार फिर राज्य में सबसे बड़ी पार्टी बनी और इसने कांग्रेस के साथ गठबंधन सरकार बनाई। नेकां नेता उमर अब्दुल्ला राज्य के मुख्यमंत्री बने।
जब भाजपा के साथ पीडीपी ने सरकार बनाई…BJP PDP Alliance : Live Hindi News
2014 के लोकसभा चुनाव के बाद हुए जिसमें देश में पहली बार भाजपा ने पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई और नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने। 2014 में जम्मू-कश्मीर में 87 सीटों वाली विधानसभा के लिए 25 नवंबर से 20 दिसंबर 2014 तक पांच चरणों में मतदान हुआ था। परिणाम 23 दिसंबर, 2014 को घोषित किये गये थे। 87 सदस्यीय विधानसभा में पीडीपी को सबसे ज्यादा 28 सीटें मिली थीं। इसके साथ ही पार्टी ने 23.85% वोट हासिल किए।
वहीं, दूसरे स्थान पर भाजपा थी जो 25 सीटों पर जीतने में सफल रही। फारुख अब्दुल्ला की नेशनल कॉन्फ्रेंस को 15 जबकि कांग्रेस को 12 सीटों पर जीत मिली। तीन सीटों पर निर्दलीय तो चार सीटों पर अन्य छोटे दलों को जीत मिली। कोई भी दल बहुमत के आंकड़े तक नहीं पहुंच सका।
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पहले मुफ्ती मोहम्मद सईद फिर बेटी महबूबा मुख्यमंत्री बनीं
नतीजों के करीब ढाई महीने बाद पीडीपी के मुफ्ती मोहम्मद सईद ने राज्य के मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली। पीडीपी को 25 सदस्यों वाली भाजपा का समर्थन मिला। इस तरह इस गठबंधन ने बहुमत के आंकड़े को जुटा लिया। 7 जनवरी 2016 को सईद का निधन हो गया जिसके बाद राज्य में एक बार फिर राजनीतिक अनिश्चित्ता का दौर आया।
राज्य में राज्यपाल का शासन लगाना पड़ा। करीब तीन महीने की अनिश्चितता के बाद भाजपा और पीडीपी में फिर से समझौता हुआ और महबूबा मुफ्ती ने राज्य के मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली। 4 अप्रैल 2016 को महबूबा राज्य की पहली महिला मुख्यमंत्री बनीं। पीडीपी-भाजपा की यह गठबंधन सरकार दो साल से ज्यादा वक्त तक चली।
धारा 370 हटने के बाद राज्य में पहली बार विधानसभा चुनाव | Hindi News Updates
जून 2018 में भाजपा ने महबूबा सरकार से समर्थन वापस ले लिया। इसके साथ ही महबूबा मुफ्ती की सरकार गिर गई। 5 अगस्त, 2019 को राज्य का विशेष राज्य का दर्जा खत्म कर इसे केंद्र शासित प्रदेश बना दिया गया। धारा 370 हटने के बाद अब पहली बार राज्य में विधानसभा चुनाव हैं। इस चुनाव में महबूबा मुफ्ती के नेतृत्व वाली PDP भी चुनाव मैदान में उतरी है। पार्टी ने अब तक 40 उम्मीदवार भी घोषित कर दिए हैं।
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पार्टी की प्रमुख महबूबा मुफ्ती चुनाव नहीं लड़ रही हैं बल्कि उनकी बेटी इल्तिजा मुफ्ती अपनी चुनावी राजनीति की शुरुआत कर रही हैं। 37 वर्षीय इल्तिजा बिजबेहरा से चुनाव लड़ेंगी, यह सीट कभी मुफ्ती परिवार का गढ़ कही जाती रही है। महबूबा मुफ्ती ने भी 1996 में इसी सीट से चुनावी शुरुआत की थी।
इल्तिजा PDP की मुख्य मीडिया सलाहकार के रूप में पार्टी का चेहरा बनकर उभरी हैं। इस बीच पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने कहा है कि जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के बाद सरकार का गठन उनकी पार्टी को शामिल किए बिना संभव नहीं होगा। अब 8 अक्तूबर को हरियाणा विधानसभा के साथ नतीजे घोषित किए जाएंगे जिसमें पता चलेगा कि जम्मू कश्मीर में इस बार किसके सिक्का चलेगा और कौन राज्य की सत्ता संभालेगा
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