Breaking News 2021: CBI स्पेशल कोर्ट (CBI Court) ने इशरत जहां (ishrat jahan) को लश्कर की आतंकी कहा, तीनों पुलिस अधिकारियों को किया बरी

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Ishrat jahan
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सीबीआई (CBI Court) की विशेष कोर्ट ने इशरत जहां (ishrat jahan) को आतंकी बताया है. इस दौरान कोर्ट ने तीनों आरोपियों को बरी कर दिया है. बरी करते हुए कोर्ट ने कहा कि इशरत जहां आतंकी थी इससे इंकार नहीं किया जा सकता है.

अहमदाबादः इशरत जहां (ishrat jahan) एनकाउंटर केस का जिन्न वक्त की बोतल से एक बार फिर बाहर आ निकला है. अभी मुंबई आतंकी हमले की की साजिश में शामिल आतंकी रिचर्ड हेडली के खुलासे के बाद माहौल ठंडा भी नहीं हुआ था कि गृह मंत्रालय के पूर्व अंडर सेक्रेटरी आरवीएस मणि ने अपने बयान से सबकों चौंका दिया है. उनका कहना है कि इशरत (ishrat jahan) और उसके साथियों को आतंकी ना बताने का उन पर दबाव डाला गया था.

 इशरत जहां (ishrat jahan) एनकाउंटर केस में सीबीआई की स्पेशल कोर्ट (CBI Court) ने बड़ा फैसला सुनाया है. एनकाउंटर केस में कोर्ट ने क्राइम ब्रांच के तीनों अधिकारी तरुण बारोट, अंजु चौधरी और गिरिश सिंघल को सभी आरोपों से बरी कर दिया है. तीनों अधिकारियों को बरी करते हुए कोर्ट ने कहा है कि इशरत जहां, लश्कर ए तैयबा की आंतकी थी. कोर्ट (CBI Court) ने कहा कि खुफिया रिपोर्ट को नकारा नहीं जा सकता यही कारण है कि तीनों अधिकारियों को बरी किया जाता है.

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बरी करते हुए कोर्ट (CBI Court) ने कहा कि क्राइम ब्रांच के अधिकारी जी एल सिंघल, तरुण बारोट व अनाजों चौधरी ने आईबी से मिले इनपुट के आधार पर कार्रवाई की. इन अधिकारियों ने वैसा ही किया जैसा करना चाहिए था.

बता दें कि इशरत जहां (ishrat jahan) व उसके तीन साथी जावेद शेख, अमजद अली व जीशान जौहर को क्राइम ब्रांच ने जून 2004 में एक एनकाउंटर में ढेर कर दिया था. इस एनकाउंटर के बाद गुजरात के पूर्व पुलिस महानिदेशक पी पी पांडे पूर्व आईपीएस और क्राइम ब्रांच के हेड डी जी बंजारा और पुलिस उपाध्यक्ष एनके अमीन को भी आरोपी बनाया गया था. इन तीनों को कोर्ट पहले ही बरी कर चुका है.

पुलिस ने कहा था, नरेंद्र मोदी की हत्या की फिराक में थे चारों

इस एनकाउंटर को अहमदाबाद के डिटेक्शन ऑफ क्राइम ब्रांच यूनिट के वंजारा लीड कर रहे थे। पुलिस का कहना था कि ये चारों लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े थे और तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्या की साजिश रच रहे थे। इस केस में सीबीआई ने 2013 में चार्जशीट दाखिल की थी और उसमें 7 पुलिस अधिकारियों को आरोपी बताया था। व

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वंजारा समेत इन अधिकारियों के नाम थे चार्जशीट में शामिल

इन अफसरों में पीपी पांडे, वंजारा, एनके आमीन, जेजी परमार, जीएल सिंघल, तरुण बरोट शामिल थे। इन सभी पुलिस अधिकारियों पर हत्या, मर्डर और सबूतों को मिटाने का आरोप लगाया गया था, लेकिन 8 साल बाद सभी बरी हो गए हैं। बता दें कि बीते डेढ़ दशक से इशरत जहां (ishrat jahan) एनकाउंटर केस काफी चर्चा में रहा है। राजनीतिक तौर पर भी यह मुद्दा काफी संवेदनशील रहा है।

इशरत जहां एनकाउंटर केस | ishrat jahan encounter case | जानिए कब-कैसे-क्या हुआ?

CBI Court Order

15 जून, 2004: गुजरात पुलिस ने एनकाउंटर में चार लोगों को मार गिराया. इनमें इशरत जहां (ishrat jahan), जावेद गुलाम शेख, अमजद अली राना और जीशान जौहर का नाम शामिल है. इस एनकाउंटर की अगुवाई डीआईजी डीजी वंजारा ने की थी.

7 सितंबर, 2009: एनकाउंटर पर विवाद के बाद मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट एसपी तमांग को जांच सौंपी गई. उन्होंने 243 पन्नों की रिपोर्ट कोर्ट में सौंपी. Israt जहां एनकाउंटर को फर्जी करार दिया गया. पुलिस को कोल्ड ब्लडेड मर्डर का दोषी ठहराया गया.

9 सितंबर, 2009: गुजरात हाईकोर्ट ने तमांग की रिपोर्ट पर स्टे लगाते हुए जांच के लिए एसआईटी का गठन कर दिया. हाईकोर्ट ने ये कहा कि इस केस की जांच उसकी निगरानी में ही होगी.


सितंबर, 2010: एसआईटी प्रमुख आर.के. राघवन ने इस केस की जांच करने से इनकार कर दिया. इसके बाद गुजरात हाईकोर्ट ने नई एसआईटी गठित की.

नवंबर, 2010: सुप्रीम कोर्ट में गुजरात सरकार की अर्जी खारिज हो गई, जिसमें नई एसआईटी के गठन पर रोक की मांग की गई थी.

29 जुलाई, 2011: राजीव रंजन वर्मा को एसआईटी का नया चेयरमैन बनाया गया.

नवंबर, 2011: एसआईटी प्रमुख राजीव रंजन की जांच रिपोर्ट के आधार हाईकोर्ट ने एनकाउंटर में शामिल लोगों के खिलाफ नई एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया. इन पर धारा 302 के तहत केस दर्ज किया गया.

दिसंबर, 2011: गुजरात हाईकोर्ट ने इशरत जहां (ishrat jahan) एनकाउंटर केस की जांच का जिम्मा सीबीआई को सौंप दिया.

14 फरवरी, 2013: सीबीआई ने आईपीएस ऑफिसर जीएल सिंघल को गिरफ्तार किया.

23 फरवरी, 2013: सीबीआई ने दो और पुलिस अफसर जेजी परमार और तरुण बारोत को भी गिरफ्तार किया.

4 जून, 2013: सीबीआई ने एनकाउंटर केस में आईपीएस डीजी वंजारा को गिरफ्तार किया. उनकी अगुवाई में ही एनकाउंटर को अंजाम दिया गया था.

13 जून, 2013: एनकाउंटर की जांच को लेकर आईबी से चल रही तनातनी के बीच सीबीआई ने आईपीएस सतीश वर्मा को जांच टीम से हटा दिया.

मई, 2014: सीबीआई ने बीजेपी नेता अमित शाह को एनकाउंटर केस में क्‍लीन चिट दे दी.

फरवरी, 2015: सीबीआई कोर्ट ने पांच फरवरी को डीजी वंजारा को जमानत दे दी.

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