नई दिल्ली: तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन जारी है। आंदोलन के प्रमुख चेहरे राकेश टिकैत चुनावी राज्य पश्चिम बंगाल में आंदोलन को धार देने का ऐलान कर चुके हैं। कृषि कानूनों के खिलाफ सबसे ज्यादा नाराजगी पंजाब और हरियाणा के किसानों में देखी जा रही है और पंजाब के निकाय चुनाव में बीजेपी इस गुस्से में बुरी तरह झुलस भी चुकी है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या बंगाल चुनाव पर भी किसान आंदोलन का असर दिखेगा? एक न्यूज चैनल के कार्यक्रम में जब यही सवाल केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से पूछा गया तो उनके जवाब का लब्बोलुआब यह था कि फायदा ही होगा, नुकसान नहीं।
‘ममता सरकार की वजह से बंगाल के किसानों को नहीं मिलते 6 हजार’
एबीपी न्यूज के ‘शिखर सम्मेलन’ कार्यक्रम में जब गृह मंत्री से पूछा गया कि क्या किसान आंदोलन से बीजेपी को पश्चिम बंगाल चुनाव में नुकसान होगा तो उन्होंने कहा, ‘उनको (किसान नेताओं) अधिकार है यहां आकर अपनी बात कहने का। करना चाहिए लेकिन पश्चिम बंगाल के किसानों की एक अलग प्रॉब्लम है जिस पर किसान नेता जवाब देना ही नहीं चाहते हैं। मोदीजी जो 6 हजार रुपये सालाना (किसान सम्मान निधि) किसानों को भेज रहे हैं, वह पश्चिम बंगाल के किसानों को मिलता ही नहीं हैं। ममता दीदी इसका लिस्ट ही नहीं देती हैं। देशभर के किसानों को साल का 6 हजार रुपये मिलता है लेकिन पश्चिम बंगाल के किसानों को नहीं मिलता। लेकिन पश्चिम बंगाल में बीजेपी की सरकार बनने के बाद हम सूबे के किसानों को पुराने पैसे के साथ-साथ नई किस्त भी देंगे।’
‘कृषि कानूनों में कुछ भी कंपलसरी नहीं, हमने नए ऑप्शन दिए’
गृह मंत्री शाह ने कहा कि 130 साल बाद कोई सरकार किसानों की उपज की मार्केटिंग व्यवस्था में सुधार की कोशिश कर रही है। नए कानूनों में किसानों पर कुछ थोपा नहीं गया है बल्कि उन्हें नए विकल्प दिए गए हैं, वह भी पुराने विकल्पों को बंद किए बिना। शाह ने कहा, ‘लगभग 130 साल से किसान जो खेत में उपजाता है, उसके उपज की मार्केटिंग की व्यवस्था में कोई सुधार नहीं आया है। 130 साल बाद मोदी सरकार यह प्रयास कर रही है। मोदीजी ने बहुत अच्छे तरीके से देश की संसद में इसे समझाने का प्रयास किया था। पूरी व्यवस्था में कुछ भी कंपलसरी नहीं है। हम पुराना ऑप्शन बंद नहीं कर रहे, नया ऑप्शन दे रहे हैं। कौन सा ऑप्शन तय करना है, यह किसान पर निर्भर है।’
‘ऐसे नहीं चलेगा कि पहले कानून रद्द कीजिए फिर बात होगी’
अमित शाह ने कहा कि सरकार किसान संगठनों से खुले मन से बातचीत और जरूरी होने पर कानूनों में बदलाव के लिए भी तैयार है लेकिन ऐसे बातचीत नहीं हो सकती कि पहले कानून रद्द कीजिए, फिर बात कीजिए। गृह मंत्री ने कहा, ‘अगर किसी को लगता है कि कानूनों में कुछ ऐसा है जो किसानों के हितों के खिलाफ है तो सरकार खुले मन से बातचीत के लिए तैयार है। मगर बातचीत ऐसे नहीं हो सकती कि पहले कानून रद्द कीजिए फिर बात कीजिए। कानून में जो प्रावधान किसान विरोधी लगते हैं, उस पर चर्चा कीजिए। हम कानून में बदलाव के लिए तैयार हैं। परंतु आप रोड पर बैठकर इस प्रकार की चर्चा ही नहीं करना चाहते हैं।’
Note: Magnewz को अब आप google news Live, google hindi news india, google hindi news in hindi, google hindi news app, google in hindi, google news in english पर भी पढ़ सकते हैं.