sardar vallabhbhai patel Jayanti: जानिए लौह पुरुष की जीवनी; पत्नी के निधन पर भी जारी रखी थी अदालत में जिरह

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सरदार वल्लभ भाई पटेल की जीवनी (जीवन परिचय) जयंती | Sardar Vallabhbhai Patel Biography in Hindi (Statue, Death Anniversary)
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Sardar Vallabhbhai Pate (Iron Man Of India )

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Sardar Vallabhbhai Patel Jayanti Rashtriya Ekta Diwas : देश ने कल लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल की 143वीं जयंती मनाई। इस मौके पर गुजरात के केवड़िया में उनकी 182 मीटर ऊंची प्रतिमा का अनावरण भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया। पटेल इस देश के पहले गृहमंत्री थे। कहा जाता है कि उनसे बेहतर नेता और प्रशासक बहुत कम होते हैं। पटेल की तुलना जर्मनी के एकीकरण के सूत्रधार बिस्मार्क से की जाती है।

ना बिस्मार्क ने कभी मूल्यों से समझौता किया और ना सरदार पटेल ने। देश जब स्वतंत्र हुआ तो 562 रियासतें थीं। पटेल ने इन्हें एक सूत्र में पिरोया और वो काम कर दिखाया जिसकी उस वक्त कल्पना भी कठिन थी। अटल इरादों और लौह इच्छाशक्ति के कारण ही उन्हें लौह पुुरुष कहा जाता है। आइए भारत माता के इस महान सपूत वल्लभ भाई पटेल पर हम आपको कुछ और जानकारी देते हैं। 

आयरन मैन: एक परिचय

सरदार पटेल का जन्म 31 अक्टूबर, 1875 को गुजरात के नाडियाड में हुआ। पिता का नाम झावेर भाई और माता का नाम लाडबा पटेल था। माता-पिता की चौथी संतान वल्लभ भाई कुशाग्र बुद्धि के थे। उनकी रुचि भी पढ़ाई में ही ज्यादा रही। उस दौर में विवाह कम उम्र में ही हो जाता था।

कहा जाता है कि सरदार पटेल की शादी भी 16 वर्ष की उम्र में ही हो गई। पत्नी का नाम झावेरबा था। लॉ डिग्री हासिल करने के बाद वो वकालात करने लगे। दो बच्चे हुए। बेटी का नाम मणिबेन और बेटे का दाहया भाई पटेल था। सरदार कितने मेधावी थे इसका अनुमान इसी तथ्य से लगाया जा सकता है कि 1910 में वो पढ़ाई के लिए इंग्लैंड गए और लॉ का कोर्स उन्होंने आधे वक्त में ही पूरा कर लिया। इसके लिए उन्हें पुरस्कार भी मिला। इसके बाद वो भारत लौट आए।  

गांधी से मुलाकात

बात नवंबर 1917 की है। यह वो वक्त था जब गुजरात के कई हिस्से अकाल से कराह रहे थे। पटेल की गांधी से मुलाकात हुई। गांधी जी उनकी प्रशासकीय क्षमता से बेहद प्रभावित हुए। पटेल ने एक अस्थाई अस्पताल बनवाया। इन्फ्लूएंजा जैसी उस दौर की घातक बीमारी का इलाज इस अस्पताल में हुआ।

फिर खेड़ा में अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ ‘नो टैक्स’ मूवमेंट चलाया। बारडोली सत्याग्रह का नेतृत्व किया। इसके साथ ही वो गुजरात प्रदेश कांग्रेस के पहले अध्यक्ष भी बने। कहा जाता है कि 1928 में बारडोली सत्याग्रह के वक्त ही वहां के किसानों ने उन्हें ‘सरदार’ की उपाधि से सम्मानित किया। 

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भारत बिखरने के लिए नहीं बना

1947 में भारत को आजादी तो मिली लेकिन बिखरी हुई। देश में कुल 562 रियासतें थीं। कुछ बेहद छोटी तो कुछ बड़ी। ज्यादातर राजा भारत में विलय के लिए तैयार थे। लेकिन, कुछ ऐसे भी थे जो स्वतंत्र रहना चाहते थे। यानी ये देश की एकता के लिए खतरा थे। सरदार ने इन्हें बुलाया और समझाया।

वो मानने के लिए तैयार नहीं हुए तो पटेल ने सैन्य शक्ति का इस्तेमाल किया। आज एकता के सूत्र में बंधे भारत के लिए देश सरदार पटेल का ही ऋणी है। कहा जाता है कि एक बार उनसे किसी अंग्रेज ने इस बारे में पूछा तो सरदार पटेल ने कहा- मेरा भारत बिखरने के लिए नहीं बना।

प्रेरक प्रसंग: आप हैरान रह जाएंगे

बात 1909 की है। पटेल की पत्नी गंभीर तौर पर बीमार थीं। 11 जनवरी 1909 की बात है। पटेल को एक स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के केस की सुनवाई के लिए कोर्ट जाना था। वो पहुंचे। जिरह करने लगे। इसी दौरान अदालत का एक कर्मचारी आया। उसने एक टेलिग्राम पटेल के हाथ में रख दिया। इस पर लिखा था कि उनकी पत्नी का निधन हो गया है। पटेल ने उसे पढ़ा।

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फिर संभालकर जेब में रख लिया और जिरह पूरी की। यह स्वतंत्रता संग्राम सेनानी बरी हुआ। बाद में जज को ये घटना पता लगी। उसने सरदार से पूछा, आपने ऐसा क्यों किया? पटेल साहब ने जवाब दिया- ये तो मेरा फर्ज था। मेरे मुवक्किल को झूठे मामले में फंसाया गया है। मैं अन्याय के पक्ष में कैसे जा सकता हूं। 

सरदार वल्लभ भाई पटेल की जीवनी (जीवन परिचय) 2023 जयंती | Sardar Vallabhbhai Patel Biography in Hindi (Statue, Death Anniversary)

सरदार वल्लभ भाई पटेल जीवन परिचय (Sardar Vallabhbhai Patel Biography in Hindi)

जन्म-मृत्यु31 अक्टूबर 1875 – 15 दिसम्बर 1950
जन्म-मृत्यु स्थाननाडियाड- बॉम्बे
आयु (age)75 वर्ष
जाति (caste)कुर्मी जाति
पिताझावर भाई
मातालाड़ बाई
पत्नी का नामझवेरबाई
भाइयों के नामसोम भाई, बिट्ठल भाई, नरसीभाई
बहन का नामदहिबा
बेटादह्याभाई
बेटीमणिबेन
मूर्ती कहाँ हैगुजरात
राजनैतिक पार्टीइंडियन नेशनल कांग्रेस

सरदार वल्लभभाई पटेल कौन थे (Who is Sardar Vallabhbhai Patel)

वल्लभभाई पटेल लोह पुरुष के रूप में पहचाने जाते हैं. एक शूरवीर से कम इनकी ख्याति न थी. इन्होने 200 वर्षो की गुलामी के फँसे देश के अलग- अलग राज्यों को संगठित कर भारत में मिलाया और इस बड़े कार्य के लिए इन्हें सैन्य बल की जरुरत तक नहीं पड़ी. यही इनकी सबसे बड़ी ख्याति थी, जो इन्हें सभी से पृथक करती हैं. 

वल्लभभाई पटेल का प्रारम्भिक जीवन, जन्म, आयु, परिवार, मृत्यु (Sardar Vallabhbhai Patel Age, Death, Wife, Family, Education)

वल्लभभाई पटेल एक कृषक परिवार से थे, जिसमे चार बेटे थे. एक साधारण मनुष्य की तरह इनके जीवन के भी कुछ लक्ष्य थे. यह पढ़ना चाहते थे, कुछ कमाना चाहते थे और उस कमाई का कुछ हिस्सा जमा करके इंग्लैंड जाकर अपनी पढाई पूरी करना चाहते थे. इन सबमे इन्हें कई परिशानियों का सामना करना पड़ा. पैसे की कमी, घर की जिम्मेदारी इन सभी के बीच वे धीरे-धीरे अपने लक्ष्य की तरफ बढ़ते रहे.

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शुरुवाती दिनों में इन्हें घर के लोग नाकारा समझते थे. उन्हें लगता था ये कुछ नहीं कर सकते. इन्होने 22 वर्ष की उम्र में मेट्रिक की पढाई पूरी की और कई सालों तक घरवालो से दूर रहकर अपनी वकालत की पढाई की, जिसके लिए उन्हें उधार किताबे लेनी पड़ती थी. इस दौरान इन्होने नौकरी भी की और परिवार का पालन भी किया. एक साधारण मनुष्य की तरह ही यह जिन्दगी से लड़ते- लड़ते आगे बढ़ते रहे, इस बात से बेखबर कि ये देश के लोह पुरुष कहलाने वाले हैं.

सरदार बल्लभ भाई पटेल के जीवन की एक विशेष घटना से इनके कर्तव्यनिष्ठा का अनुमान लगाया जा सकता है, यह घटना जबकि थी जब इनकी पत्नी बम्बई के हॉस्पिटल में एडमिट थी. कैंसर से पीढित इनकी पत्नी का देहांत हो गया, जिसके बाद इन्होने दुसरे विवाह के लिए इनकार कर दिया और अपने बच्चो को सुखद भविष्य देने हेतु मेहनत में लग गए.

इंग्लॅण्ड जाकर इन्होने 36 महीने की पढाई को 30 महीने में पूरा किया, उस वक्त इन्होने कॉलेज में टॉप किया. इसके बाद वापस स्वदेश लोट कर अहमदाबाद में एक सफल और प्रसिद्ध बेरिस्टर के रूप कार्य करने लगे. इंग्लैंड से वापस आये थे, इसलिए उनकी चाल ढाल बदल चुकी थी. वे सूट बूट यूरोपियन स्टाइल में कपड़े पहनने लगे थे.

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इनका सपना था ये बहुत पैसे कमाये और अपने बच्चो को एक अच्छा भविष्य दे. लेकिन नियति ने इनका भविष्य तय कर रखा था. गाँधी जी के विचारों से प्रेरित होकर इन्होने सामाजिक बुराई के खिलाफ अपनी आवाज उठाई. भाषण के जरिये लोगो को एकत्र किया. इस प्रकार रूचि ना होते हुए भी धीरे-धीरे सक्रीय राजनीती का हिस्सा बन गए

स्वतंत्रता संग्राम में वल्लभभाई पटेल का योगदान (Sardar Vallabhbhai Patel As A Freedom Fighter)

  • स्थानीय कार्य : गुजरात के रहवासी वल्लभभाई ने सबसे पहले अपने स्थानीय क्षेत्रो में शराब, छुआछूत एवं नारियों के अत्याचार के खिलाफ लड़ाई की. इन्होंने हिन्दू मुस्लिम एकता को बनाये रखने की पुरजोर कोशिश की.
  • खेड़ा आन्दोलन: 1917 में गाँधी जी ने वल्लभभाई पटेल से कहा, कि वे खेडा के किसानो को एकत्र करे और उन्हें अंग्रेजो के खिलाफ आवाज उठाने के लिए प्रेरित करे. उन दिनों बस कृषि ही भारत का सबसे बड़ा आय का स्त्रोत थी, लेकिन कृषि हमेशा ही प्रकृति पर निर्भर करती आई हैं. वैसा ही कुछ उन दिनों का आलम था. 1917 में जब अधिक वर्षा के कारण किसानो की फसल नष्ट हो गई थी, लेकिन फिर भी अंग्रेजी हुकूमत को विधिवत कर देना बाकि था. इस विपदा को देख वल्लभ भाई ने गाँधी जी के साथ मिलकर किसानो को कर ना देने के लिए बाध्य किया और अंतः अंग्रेजी हुकूमत को हामी भरनी पड़ी और यह थी सबसे पहली बड़ी जीत जिसे खेडा आन्दोलन के नाम से याद किया जाता हैं.

इन्होने गाँधी जी के हर आन्दोलन में उनका साथ दिया. इन्होने और इनके पुरे परिवार ने अंग्रेजी कपड़ो का बहिष्कार किया और खादी को अपनाया.

कैसे मिला सरदार पटेल नाम (बारडोली सत्याग्रह) (How did you get name Sardar Patel)

इस बुलंद आवाज नेता Sardar Vallabhbhai Patel ने बारडोली में सत्याग्रह का नेतृत्व किया. यह सत्याग्रह 1928 में साइमन कमीशन के खिलाफ किया गया था. इसमें सरकार द्वारा बढ़ाये गए कर का विरोध किया गया और किसान भाइयों को एक देख ब्रिटिश वायसराय को झुकना पड़ा.

इस बारडोली सत्याग्रह के कारण पुरे देश में वल्लभभाई पटेल का नाम प्रसिद्द हुआ और लोगो में उत्साह की लहर दौड़ पड़ी. इस आन्दोलन की सफलता के कारण वल्लभ भाई पटेल को बारडोली के लोग सरदार कहने लगे जिसके बाद इन्हें सरदार पटेल के नाम से ख्याति मिलने लगी.

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स्थानीय लड़ाई से देश व्यापी आन्दोलन

गाँधी जी की अहिंसा की निति ने इन्हें बहुत ज्यादा प्रभावित किया था और इनके कार्यों ने गाँधी जी पर अमिट छाप थी. इसलिए स्वतंत्रता के लिए किये गए सभी आंदोलन जैसे असहयोग आन्दोलन, स्वराज आन्दोलन, दांडी यात्रा, भारत छोडो आन्दोलन इन सभी में सरदार पटेल की भूमिका अहम् थी. अंग्रेजो की आँखों में खटने वाले स्वतंत्रता सेनानी थे सरदार पटेल.

1923 में जब गाँधी जी जेल में थे. तब इन्होने नागपुर में सत्याग्रह आंदोलन का नेतृत्व किया.इन्होने अंग्रेजी सरकार द्वारा राष्ट्रीय ध्वज को बंद करने के खिलाफ आवाज उठाई, जिसके लिए अलग- अलग प्रान्तों से लोगो को इकट्ठा कर मोर्चा निकाला गया. इस मोर्चे के कारण अंग्रेजी सरकार को झुकना पड़ा और उन्होंने कई कैदियों को जेल से रिहा किया.

इनकी वाक् शक्ति ही इनकी सबसे बड़ी ताकत थी, जिस कारण उन्होंने देश के लोगो को संगठित किया. इनके प्रभाव के कारण ही एक आवाज पर आवाम इनके साथ हो चलती थी.

आजादी के पहले एवम बाद में अहम् पद

इनकी लोकप्रियता बढ़ती ही जा रही थी, इन्होने लगातार नगर के चुनाव जीते और 1922, 1924 और 1927 में अहमदाबाद के नगर निगम के अध्यक्ष के रूप में चुने गए. 1920 के आसपास के दशक में Sardar Vallabhbhai Patel ने गुजरात कांग्रेस को ज्वाइन किया, जिसके बाद वे 1945 तक गुजरात कांग्रेस अध्यक्ष बने रहे.

1932 में इन्हें भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया. इन्हें कांग्रेस में सभी बहुत पसंद करते थे. उस वक्त गाँधी जी, नेहरु जी एवं सरदार पटेल ही नेशनल कांग्रेस के मुख्य बिंदु थे. आजादी के बाद वे देश के गृहमंत्री एवं उपप्रधानमंत्री चुने गए. वैसे सरदार पटेल प्रधानमंत्री के प्रथम दावेदार थे उन्हें कांग्रेस पार्टी के सर्वाधिक वोट मिलने के पुरे आसार थे लेकिन गाँधी जी के कारण उन्होंने स्वयं को इस दौड़ से दूर रखा.

आजादी के बाद सरदार पटेल द्वारा किया गया अहम् कार्य (Sardar Vallabhbhai Patel Rashtriya Ekikaran Mein Yogdan)

15 अगस्त 1947 के दिन देश आजाद हो गया, इस आजादी के बाद देश की हालत बहुत गंभीर थी. पाकिस्तान के अलग होने से कई लोग बेघर थे. उस वक्त रियासत होती थी, हर एक राज्य एक स्वतंत्र देश की तरह था, जिन्हें भारत में मिलाना बहुत जरुरी थी. यह कार्य बहुत कठिन था, कई वर्षो की गुलामी के बाद कोई भी राजा अब किसी भी तरह की आधीनता के लिए तैयार नहीं था, लेकिन Sardar Vallabhbhai Patel पर सभी को यकीन था, उन्होंने ने ही रियासतों को राष्ट्रीय एकीकरण के लिए बाध्य किया और बिना किसी युद्ध के रियासतों को देश में मिलाया.

जम्मू कश्मीर, हैदराबाद एवं जूनागढ़ के राजा इस समझौते के लिए तैयार न थे. इनके खिलाफ सैन्यबल का उपयोग करना पड़ा और आखिकार ये रियासते भी भारत में आकर मिल गई. इस प्रकार वल्लभभाई पटेल की कोशिशों के कारण बिना रक्त बहे 560 रियासते भारत में आ मिली. रियासतों को भारत में मिलाने का यह कार्य नम्बर 1947 आजादी के महज कुछ महीनो में ही पूरा किया गया. गाँधी जी ने कहा कि यह कार्य केवल सरदार पटेल ही कर सकते थे. 

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भारत के इतिहास से लेकर आज तक इन जैसा व्यक्ति पुरे विश्व में नहीं था, जिसने बिना हिंसा के देश एकीकरण का ऐसा उदाहरण प्रस्तुत किया हो. उन दिनों इनकी इस सफलता के चर्चे पुरे विश्व के समाचार पत्रों में थे.इनकी तुलना बड़े-बड़े महान लोगो से की जाने लगी थी.

कहा जाता हैं अगर पटेल प्रधानमंत्री होते, तो आज पाकिस्तान, चीन जैसी समस्या इतना बड़ा रूप नहीं लेती. पटेल की सोच इतनी परिपक्व थी कि वे पत्र की भाषा पढ़कर ही सामने वाले के मन के भाव समझ जाते थे. उन्होंने कई बार नेहरु जी को चीन के लिए सतर्क किया, लेकिन नेहरु ने इनकी कभी ना सुनी और इसका परिणाम भारत और चीन का युद्ध हुआ था.

सरदार बल्लभभाई पटेल पॉलिटिकल करियर (Sardar Vallabhbhai Patel Political Career)

  • 1917 में बोरसाद में एक स्पीच के जरिये इन्होने लोगो को जागृत किया और गाँधी जी का स्वराज के लिए उनकी लड़ाई में सहमति पत्र पर हस्ताक्षर करने के लिए प्रेरित किया.
  • खेडा आन्दोलन में अहम् भूमिका निभाई एवम अकाल और प्लेग से ग्रस्त लोगो की सेवा की.
  • बारडोली सत्याग्रह में इन्होने लोगो को कर ना देने के लिए प्रेरित किया और एक बड़ी जीत हासिल की, जहाँ से इन्हें सरदार की उपाधि मिली.
  • असहयोग आन्दोलन में गाँधी जी का साथ दिया. पुरे देश में भ्रमण कर लोगो को एकत्र किया और आन्दोलन के लिए धन राशी एकत्र की.
  • भारत छोड़ो आन्दोलन में भाग लिया और जेल गए.
  • आजादी के बाद देश के गृहमंत्री एवं उपप्रधानमंत्री बने.
  • इस पद पर रहते हुए इन्होने राज्यों को देश में मिलाने का कार्य किया, जिससे उन्हें के लोह पुरुष की छवि मिली.

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सरदार पटेल एवं नेहरु के बीच अंतर (Vallabhbhai Patel Vs Jawahar Lal Nehru)

Sardar Vallabhbhai Patel एवं नेहरु दोनों गाँधी विचार धारा से प्रेरित थे, इसलिए ही शायद एक कमान में थे. वरना तो इन दोनों की सोच में जमीन आसमान का अंतर था. जहाँ पटेल भूमि पर थे, मिट्टी में रचे बसे साधारण व्यक्तित्व के तेजस्वी व्यक्ति थे. वही नेहरु जी अमीर घरानों के नवाब थे, जमीनी हकीकत से दूर, एक ऐसे व्यक्ति जो बस सोचते थे और वही कार्य पटेल करके दिखा देते थे. शैक्षणिक योग्यता हो या व्यवहारिक सोच हो इन सभी में पटेल नेहरु जी से काफी आगे थे. कांग्रेस में नेहरु जी के लिए पटेल एक बहुत बड़ा रोड़ा थे.

सरदार वल्लभभाई पटेल की मृत्यु (Sardar Vallabhbhai Patel Death Anniversary)

1948 में हुई गाँधी जी की मृत्यु के बाद पटेल को इस बात का गहरा आघात पहुँचा और उन्हें कुछ महीनो बाद हार्ट अटैक हुआ, जिससे वे उभर नहीं पाए और 15 दिसम्बर 1950 को इस दुनिया से चले गए.

सरदार बल्लभभाई पटेल राष्ट्रीय सम्मान (Sardar Vallabhbhai Patel Awards)

1991 में इन्हें भारत रत्न का सम्मान दिया गया.इनके नाम से कई शेक्षणिक संस्थायें हैं. हवाईअड्डे को भी इनका नाम दिया गया.

स्टेच्यु ऑफ़ यूनिटी के नाम से सरदार पटेल के 2013में उनके जन्मदिन पर गुजरात में उनका स्मृति स्मारक बनाने की शुरुवात की गई, यह स्मारक भरूच (गुजरात) के पास नर्मदा जिले में हैं.

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सरदार वल्लभभाई पटेल अनमोल वचन, नारे, स्लोगन (Sardar Vallabhbhai Patel Quotes and  Slogan)

  • कभी- कभी मनुष्य की अच्छाई उसके मार्ग में बाधक बन जाती हैं कभी- कभी क्रोध ही सही रास्ता दिखाता हैं. क्रोध ही अन्याय के खिलाफ आवाज उठाने की ताकत देता हैं.
  • डर का सबसे बड़ा कारण विश्वास में कमी हैं.
  • सरदार पटेल की अहिंसा की परिभाषा :

“ जिनके पास शस्त्र चलाने का हुनर हैं लेकिन फिर भी वे उसे अपनी म्यान में रखते हैं असल में वे अहिंसा के पुजारी हैं. कायर अगर अहिंसा की बात करे तो वह व्यर्थ हैं. “

  • जिस काम में मुसीबत होती हैं,उसे ही करने का मजा हैं जो मुसीबत से डरते हैं,वे योद्धा नहीं. हम मुसीबत से नहीं डरते.
  • फालतू मनुष्य सत्यानाश कर सकता हैं इसलिए सदैव कर्मठ रहे क्यूंकि कर्मठ ही ज्ञानेन्द्रियो पर विजय प्राप्त कर सकता हैं.

यह थे सरदार वल्लभभाई पटेल द्वारा कहे कुछ अनमोल वचन जो हमें एक सफल जीवन का पथ दिखाते हैं. महानत व्यक्ति के बोल महज शब्द जाल नहीं होते उनमे अनुभवों की विशालता एवं गहराई होती हैं जो मनुष्य के जीवन को सही दिशा देती हैं.

स्टैच्यू ऑफ यूनिटी (Statue of Unity)

सरदार वल्लभ भाई पटेल जी की याद में पीएम मोदी जी ने गुजरात में सबसे ऊँची मूर्ती स्टैच्यू ऑफ यूनिटी का निर्माण करवाया, मात्र 4 सालो में यह बनकर तैयार हो गई थी.

नामस्टैच्यू ऑफ यूनिटी
शिलान्यास रखा31 अक्टूबर 2013
ऊंचाई (Height)208 मीटर (682 फीट)
लागत (Budget)₹3,000 करोड़ (US$438 मिलियन)
कहाँ हैसाधू बेट नामक स्थान गुजरात
लम्बाई (Length)182 मीटर (597 फीट)
उद्घाटन31 अक्टूबर 2018

FAQ

Q : सरदार वल्लभ भाई पटेल की जयंती कब है?

Ans : 31 अक्टूबर

Q : सरदार वल्लभ भाई पटेल की मृत्यु कब हुई?

Ans : 15 December 1950

Q : सरदार वल्लभ भाई पटेल का पूरा नाम क्या था?

Ans : वल्लभभाई झवेर भाई पटेल

Q : सरदार वल्लभ भाई पटेल का जन्म कहां हुआ था ?

Ans : नाडियाड

Q : सरदार वल्लभ भाई पटेल कौन थे?

Ans : हमारे देश के लौह पुरुष कहे जाने वाले एक महापुरुष


Q : सरदार पटेल क्यों प्रसिद्ध है?

Ans : सरदार पटेल की महानतम देन थी 562 छोटी-बड़ी रियासतों का भारतीय संघ में विलीनीकरण करके भारतीय एकता का निर्माण करना। विश्व के इतिहास में एक भी व्यक्ति ऐसा न हुआ जिसने इतनी बड़ी संख्या में राज्यों का एकीकरण करने का साहस किया हो। 5 जुलाई 1947 को एक रियासत विभाग की स्थापना की गई थी।

सरदार पटेल कौन थे उनका मुख्य योगदान क्या था?

सरदार वल्लभ भाई पटेल का जन्म 31 अक्टूबर 1875 को गुजरात में हुआ था । लंदन जाकर उन्होंने बैरिस्टर की पढ़ाई की और वापस आकर अहमदाबाद में वकालत करने लगे।महात्मा गांधी के विचारों से प्रेरित होकर उन्होंने भारत के स्वतंत्रता आन्दोलन में भाग लिया । आप सरदार पटेल के नाम से लोकप्रिय एक भारतीय राजनीतिज्ञ थे ।

सरदार वल्लभभाई पटेल लौह पुरुष क्यों कहा जाता है?

अब बात ये कि उनको लौह पुरुष क्यों कहा जाता है। साफ तौर पर इसकी वजह उनकी प्रशासनिक क्षमता और अद्भुत दृढ़ निश्चयी होना है। देश जब आजाद हुआ तो उस वक्त 565 रियासतें थीं। ब्रिटिश शासन ने इनके सामने विकल्प रखा कि वो भारत या पाकिस्तान में से किसी एक को चुन लें।

सरदार वल्लभभाई पटेल ने भारत को कैसे एकजुट किया?

सरदार पटेल ने अपने कूटनीतिक कौशल और दूरदर्शिता से रियासतों के एकीकरण को प्रभावी ढंग से संभाला । उन्होंने दृढ़ नीति का पालन किया और यह स्पष्ट कर दिया कि वह भारत के भीतर किसी भी राज्य के स्वतंत्र और अलग-थलग रहने के अधिकार को मान्यता नहीं देते हैं।

31 अक्टूबर को कौन सा दिवस मनाया जाता है?

Rashtriya Ekta Diwas 2023: हर साल भारत में 31 अक्टूबर को राष्ट्रीय एकता दिवस मनाया जाता है। यह दिन सरदार वल्लभभाई पटेल की महानता का सम्मान करता है।

भारत का लौह पुरुष किसे कहा जाता है?

सरदार वल्लभभाई पटेल को भारत के एकीकरण में उनके योगदान के लिए भारत के लौह पुरुष के रूप में जाना जाता है।

लौह पुरुष की उपाधि किसने और क्यों दी?

जिसे आज हम POK कहते हैं. सरदार वल्लभ भाई पटेल ने 14 राज्य और 6 केंद्र शासित प्रदेश को भारत के साथ जोड़ा और एक अखंड भारत का निर्माण किया. इस काम से खुश होकर गांधी जी ने पटेल को लौह पुरुष का खिताब दिया.

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